Ham Aur Hamara Samaj/Our Responsiblity To Our Society




दोस्तों,
निराश और दुखी हो जाता हूँ  जब भी अख़बार पढ़ता हूँ या टीवी पर news देखता हूँ।  सभी छेड़खानी, रेप या रेप के बाद बर्बरता  पूर्वक हत्या जैसी घटनाओं से रोज ही भरे होते हैं। एक पिता ,एक भाई , एक पति होने के नाते डर जाता हूँ , दिमाग असुरक्षा की भावना से घिर जाता है , माथे पे चिंता की लकीरें उभर आती हैं। यह समाज को क्या हो गया है। लड़के जो इन अपराधों को करते हैं  वो भी इसी समाज के हैं।  आखिर वो ऐसे कैसे हो सकते हैं।   हम कैसे बच्चे समाज को दे रहें हैं।  अगर  हम अच्छे हैं , चरित्रवान हैं तो हमारे बच्चे ऐसे कैसे हो सकते हैं?
कहीं न कहीं हमारा भी दोष है। कहते हैं माँ , परिवार  और समाज हमारे स्कुल, कॉलेज  और यूनिवर्सिटीज होते हैं। हम क्या हैं और क्या होंगे  ये इन्ही संस्थाओं में तय होता है।
दुर्याधन या कौरव ऐसे क्यों थे।  मुझे उनसे कोई सहानुभूति नहीं है और न ही मै  उनका पक्ष ले रहा हूँ , लेकिन कहीं न कहीं उनकी ऐसी स्थिति के लिए  उनके माता पिता भी जिम्मेदार हैं। धृतराष्ट्र तो माना  देख नहीं सकते थे  परन्तु गांधारी तो देख सकती थी।  माना  पति  के दृष्टिसुख से वंचित होने के वजह से उन्होंने भी  अपने आपको दृष्टिसुख से वंचित कर लिया लेकिन बच्चों के प्रति भी उनकी कुछ जिम्मेदारियां थी।  बच्चे क्या कर रहें हैं  सही कर रहें हैं या गलत कर रहें हैं  परिवार में  कौन देखेगा  या तो माँ देखेगी या पिता।  यहाँ तो  दोनों  अपनी आँखे बंद किये बैठे थे।  फिर बच्चे किसी और की क्यों सुने.?  परिणाम  आपके सामने है।
ज अधिकांश परिवारों में यही हो रहा है।  पिता  नौकरी , व्यापार में व्यस्तता की वजह या अपनी लापरवाही  की वजह से  बच्चों के प्रति धृतराष्ट्र  बना हुआ है , ऐसी स्थिति में माँ को अपनी आँखे खुली  रखनी चाहिए।  माँ भी यदि नौकरी  करती है  तो  बच्चों को देखने वाला कोई नहीं रह जाता। ऐसी स्थिति में भी कुछ न कुछ करना चाहिए, अपनी व्यस्तताओं में से भी टाइम निकलना ही चाहिए चाहे  जैसे भी।   परिवार भी एकल हो गए  हैं।  दादा दादी भी वृद्धाश्रम के हो लिए।
समाज के हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है  अच्छी पीढ़ी तैयार करे अपने लिए , अपने परिवार के लिए , अपने समाज के लिए , अपने देश के लिए और पुरे विश्व के लिए।  धन्यवाद्।
  

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ