सुनील छेत्री ने आज वो करिश्मा कर दिखाया है जिसकी भारत को वर्षों से तलाश थी। छेत्री ने अपने करियर का 64वां अंतराष्ट्रीय गोल लगा कर फुटबॉल जगत के नामी दिग्गज खिलाडी अर्जेंटीना के लिओनेल मेस्सी की बराबरी की है। इसके साथ ही वे संयुक्त रूप से मेस्सी के साथ दुनिया के सक्रीय फुटबॉल खिलाडियों में दूसरा सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाडी बन गए हैं। भारत जैसे देश में जहाँ क्रिकेट ने सारे खेलों को फीका बना दिया है जहाँ क्रिकेट के अलावा अन्य खेल न तो टीवी और न समाचार पत्रों में अपनी जगह बना पाते हैं जहाँ दर्शक अन्य खेलों के प्रति गूंगे,बहरे और अंधे बन जाते हैं वहां छेत्री की यह उपलब्धि अपने आप में बेमिसाल है। छेत्री ने भारतीय फुटबॉल को संजीवनी प्रदान कर उसे फिर से जीवित करने का प्रयास किया है।
फुटबॉल सुनील के खून में है। उनकी माता और दो बहने नेपाल की महिला टीम की तरफ से फुटबॉल खेल चुकी है। शायद यही उनके फुटबॉल के प्रति झुकाव की वजह बनी। यही झुकाव उन्हें फुटबॉल का शौकीन और फिर फुटबॉल का दीवाना बना गयी।
सुनील छेत्री का जन्म सिकंदराबाद आँध्रप्रदेश में 3 अगस्त 1984 को हुआ था। उनके माता पिता दोनों नेपाली मूल के हैं। उनके पिता भारतीय सेना में गोरखा जवान की नौकरी करते थे जबकि उनकी माता नेपाल महिला टीम की पूर्व खिलाडी रह चुकी हैं।
2001 में मात्र 17 साल की अवस्था में उन्होंने फुटबॉल को अपना करियर बना लिया और दिल्ली से अपने फुटबॉल जीवन की शुरुवात की। करीब एक साल तक वे यहीं खेलते रहे। इसी समय मोहन बागान ने उन्हें अपनी टीम में शामिल होने का न्योता दिया और इस प्रकार उनके प्रोफेशनल करियर की शुरुवात हुई। मोहन बागान की ओर से खेलते हुए सुनील ने कई उम्दा प्रदर्शन किये। इसके बाद तो सुनील का करियर परवान चढ़ने लगा। इसके बाद वे भारतीय टीम के जूनियर और सीनियर दोनों श्रेणियों में खेले। फिर उन्हें भारतीय फुटबॉल टीम का कप्तान बनाया गया। उनके शानदार प्रदर्शन का दौर चलता रहा फिर चाहे 2007 में कम्बोडिआ के विरुद्ध उनका दो गोल हो या एऍफ़सी चैलेंज कप 2008 में तजाकिस्तान के विरुद्ध 3 गोल, फुटबॉल जगत ने मान लिया एक नए सितारे का जन्म हो चूका है। 2008 की यह जीत कई मायने में यादगार थी इसी जीत ने 27 साल बाद भारत को एशिया कप में प्रवेश दिलाया। छेत्री फुटबॉल प्रेमियों के दिलों पर राज करने लगे थे। अब उन्हें कई दूसरे देशों से खेलने के लिए ऑफर भी आने लगे थे। 2010 में कंसास सिटी के लिए वे मेजर लगे सॉकर यू एस ए में भी खेले। इस प्रकार वे तीसरे भारतीय खिलाडी बने जो भारत के बाहर खेलें हों। एक समय इंग्लिश प्रीमियम लीग से भी करार की खबर आयी थी किन्तु किसी वजह से वे खेल नहीं पाए।
इसके बाद वे 2012 में स्पोर्टिंग क्लब डी पुर्तगाल की रिज़र्व टीम के लिए खेले। यहाँ से अनुबंध समाप्त होने के बाद बेंगलूर फुटबॉल क्लब की ओर से वे खेलने लगे। वर्तमान में वे इस क्लब के कप्तान हैं और आई लीग के नंबर एक खिलाडी हैं।
सुनील छेत्री के नेतृत्व में भारत ने 2007,2009 और 20012 में नेहरू कप जीता और 2008 में एएशिया कप के लिए क्वालीफाई भी किया।
अभी तक उन्होंने 102 मैचों में 64 गोल कर चुके हैं जो किसी भी भारतीय खिलाडी का सर्वाधिक और सर्वोत्तम प्रदर्शन है। उनके नेतृत्व में ही भारत ने अपनी फीफा रैंकिंग में काफी सुधार किया और अभी तक के सर्वोच्च रैंक 97 को पाया है।
सुनील छेत्री को कई सम्मान और पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्हें भारत सरकार से अर्जुन पुरस्कार भी मिल चूका है। 2007 में एन डी टीवी इंडिया ने उन्हें प्लेयर ऑफ़ द ईयर अवार्ड प्रदान किया। वे तीन बार ऐइफा प्लेयर ऑफ़ थे ईयर का अवार्ड जीत चुके हैं।
सुनील छेत्री जिस प्रकार खेल के शिखर की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं उससे भारतीय फुटबॉल को एक नयी उम्मीद और नया जोश मिला है। उनकी सफलता ने भारतीय खेल प्रेमियों को फिर से फुटबॉल की ओर रुख करने को मजबूर किया है।
सुनील छेत्री जिस प्रकार खेल के शिखर की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं उससे भारतीय फुटबॉल को एक नयी उम्मीद और नया जोश मिला है। उनकी सफलता ने भारतीय खेल प्रेमियों को फिर से फुटबॉल की ओर रुख करने को मजबूर किया है।
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