कम्प्यूटर और हमारा स्वास्थ्य
यदि आप कंप्यूटर के सामने 4 से 12 घंटे प्रतिदिन बैठते है तो यह जानकारी आपके लिए ही है। दोस्तों हम कंप्यूटर युग या यूँ कहें इंटरनेट युग में जी रहे हैं। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो कम्प्यूटर या इंटरनेट के प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से संपर्क में न आया हो। सारा का सारा काम कंप्यूटर से ही सम्पादित हो रहे हैं। पेन,डायरी ,पेपर ,घडी ,कैमरा ,म्यूजिक ,सिनेमा और न जाने क्या क्या , सब के सब कंप्यूटर और मोबाइल के आगे आत्मसमर्पण कर चुकेहैं। आने वाले दिनों में हो सकता है वो म्यूजियम की चीज़ न बन जाये।दोस्तों आज के इस कंप्यूटर युग में कंप्यूटर करोड़ो लोगों की जीविका का साधन भी बना हुआ है। सारे जॉब्स कंप्यूटर से होने की वजह से लोग घंटो कंप्यूटर के सामने बैठे रहते है. या दूसरे शब्दों में कंप्यूटर के सामने दस दस बारह बारह घंटे बैठना उनकी मज़बूरी बन चूका है। अब यही चीज़ रोज़ रोज़ , महीनो महीनो ,सालो सालो तक होती रहे तो यह लोगों के स्वस्थ्य पर प्रभाव तो डालेगी ही।आईये देखते है कंप्यूटर के सामने लगातार बैठने के क्या क्या प्रभाव हो सकते हैं :
कंप्यूटर या मोबाइल पर लगातार काम करने से मुख्यतः तीन तरह की समस्याएं आती है
- आँख या दृष्टि की समस्या (Vision Problems)
- शारीरिक समस्याएं (Physical Issues )
- रेडिएशन की समस्या (Radiation Problem )
Vision Problems :
कंप्यूटर पर लगातार कई कई घंटो तक काम करने से computer vision syndrome (CVS)नामक आँखों की प्रॉब्लम आती है।कंप्यूटर स्क्रीन पर बिना पलक झपकाए लगातार देखना , स्क्रीन का कॉट्रास्ट और resolution ज्यादा होना , कंप्यूटर से आँखों की सही दूरी नहीं होना कई कारण हो सकते है। इसमें आँखों का सुखना यानि dry होना , आँखों की थकान , जलन , सरदर्द आँखों में तनाव , blur या धुँधली दृष्टि होना कई लक्षण हो सकते हैं। यदि सही समय पर इसका उपाय न किया जाये तो रेटिना के क्षतिग्रस्त होने के भी चांस रहते हैं। अतः जितना जल्दी हो सके इसकी रोकथाम की जानी चाहिए। इनमे से कोई भी लक्षण हो तो अविलम्ब किसी अच्छे eye specialist से मिलना चाहिए। इसके साथ ही नियमित रूप से आँखों को ठन्डे पानी का छींटा देना चाहिए। काम करते समय कंप्यूटर से अपने आँखो की उचित दुरी बनाये रखना चाहिए जिससे की आँखों पर जोर न पड़े। साथ ही ऐसी आदत बनानी चाहिए की हर थोड़ी थोड़ी देर पर पलक झपके। इससे आँखे ड्राई नहीं हो पाती।
Physical Issues:
कम्प्यूटर के सामने लगातार एक ही मुद्रा में कई कई घंटे बैठने से आँखों के अलावा कई शारीरिक विसंगतियां भी आने लगती हैं। इसमें मोटापा ,पेट का निकलना , शरीर और खासकर उंगलियों में अकड़न ,कलाई और गर्दन का अकड़ना , तथा इनमे दर्द होना आदि हो सकता है। कई बार Carpel Tunnel Syndrome के भी होने की संभावनाएं हो जाती है जिसमे उंगलियों में जलन , सुन्नपन ,झनझनाहट ,दर्द और अकड़न हो सकती है। इस तरह के सिम्पटम्स दिखने पर जरा भी लापरवाही नहीं करनी चाहिए। जरुरत हो तो किसी अच्छे डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। साथ ही नियमित रूप से व्यायाम ,योग , टहलना आदि करना चाहिए। यह भी ध्यान देना चाहिए कि लगातार एक ही मुद्रा में न बैठे। बीच बीच में पोजीशन चेंज करना , थोड़ा टहल लेना , खड़े होना सब करते रहना चाहिए। उँगलिओं तथा हाथो की कसरत जरुरी है साथ ही ऐसी स्थिति से बचने के लिए भरपूर पौष्टिक भोजन ,पानी और खूब टहलना जरुरी होता है।
Radiation Problem
कई कंप्यूटर के स्क्रीन खासकर कैथोड रे ट्यूब एक्स रे जैसी विकरण देती है। ये विकरण कई तरह से हमारे स्यास्थ्य को प्रभावित करता है। इससे नींद न आना , कैंसर , गर्भपात ,ट्यूमर , जन्म सम्बन्धी विकृतियां आदि आ सकती है। इससे बचने के लिए अच्छे और उच्च गुणवत्ता वाले सीआरटी मॉनिटर जो कम विकिरण उत्पन्न करें उनका प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ ही मॉनिटर से उचित दूरी बनाये रखना चाहिए। हो सके तो कंप्यूटर का रेसोलुशन और कंट्रास्ट कम रखना चाहिए।
अन्य अध्ययन एवं शोध :
पिछले साल 26 मार्च को Archives of Internal Medicine में प्रकाशित सर्वेक्षण के अनुसार 200000 व्यक्तियों के बैठने की मुद्रा और उनकी मृत्य दर में देखा गया की जो लोग प्रतिदिन 11 घंटे एक ही मुद्रा में काम करते थे सामान्य लोगों की अपेक्षा उनकी मृत्य दर 40 प्रतिशत ज्यादा रही। WHO की रिपोर्ट के अनुसार स्तन और colon कैंसर का एक बड़ा कारण लगातार एक ही मुद्रा में बैठ कर काम करना है। ऐसे लोगों में डायबिटीज के 27 प्रतिशत और ह्रदय रोग के 30 प्रतिशत केस मिले।
American Institute For Cancer Research ने 2012 के कांफ्रेंस में बताया की अकेले अमेरिका में 49000 स्तन कैंसर और 43000 कोलन कैंसर के केस में शरीर लम्बे समय तक बैठना भी एक कारण हो सकता है। Journal For Applied Physiology के 2011 के एक रिपोर्ट के अनुसार जब लोग प्रतिदिन 10000 कदम की जगह 5000 कदम या उससे काम चलने लगते हैं तो उनमे डायबिटीज टाइप टू होने की संभावना बढ़ जाती है। Tel Abib University के एक रिसर्च में पाया गया कि मैकेनिकल स्ट्रेचिंग लोड्स से दबने के कारण प्रिडिपॉइट्स कोशिकाएं फैट सेल में परिवर्तित होने लगती है और जो शरीर में मोटापा लाने लगती हैं। कई अध्ययनों में पाया गया है कि ज्यादा देर तक कंप्यूटर के सामने लगातार बैठने से एक समस्या जिसको इ थ्रोम्बोसिस कहते है आती है इसमें खून में थक्का जमने लगता है। US के National Institute For Occupational Safety And Health के एक रिपोर्ट के अनुसार कंप्यूटर पर प्रतिदिन 3 या ज्यादा घंटे काम करने वालों में computer vision syndrome होने की 90 प्रतिशत संभावना होती है। मलेशिया में एक अध्ययन में पाया गया कि 795 छात्रों में जो 18 से 25 वर्ष के बीच के थे उनमे 89.9 प्रतिशत छात्रों में कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम पाया गया।
American Institute For Cancer Research ने 2012 के कांफ्रेंस में बताया की अकेले अमेरिका में 49000 स्तन कैंसर और 43000 कोलन कैंसर के केस में शरीर लम्बे समय तक बैठना भी एक कारण हो सकता है। Journal For Applied Physiology के 2011 के एक रिपोर्ट के अनुसार जब लोग प्रतिदिन 10000 कदम की जगह 5000 कदम या उससे काम चलने लगते हैं तो उनमे डायबिटीज टाइप टू होने की संभावना बढ़ जाती है। Tel Abib University के एक रिसर्च में पाया गया कि मैकेनिकल स्ट्रेचिंग लोड्स से दबने के कारण प्रिडिपॉइट्स कोशिकाएं फैट सेल में परिवर्तित होने लगती है और जो शरीर में मोटापा लाने लगती हैं। कई अध्ययनों में पाया गया है कि ज्यादा देर तक कंप्यूटर के सामने लगातार बैठने से एक समस्या जिसको इ थ्रोम्बोसिस कहते है आती है इसमें खून में थक्का जमने लगता है। US के National Institute For Occupational Safety And Health के एक रिपोर्ट के अनुसार कंप्यूटर पर प्रतिदिन 3 या ज्यादा घंटे काम करने वालों में computer vision syndrome होने की 90 प्रतिशत संभावना होती है। मलेशिया में एक अध्ययन में पाया गया कि 795 छात्रों में जो 18 से 25 वर्ष के बीच के थे उनमे 89.9 प्रतिशत छात्रों में कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम पाया गया।
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