Facebook और आपका डाटा
आप जब भी facebook चला रहे होते है तब आपके होम पेज पर आप देखते है वही सारे विज्ञापन आने लगते हैं या वही सारे पोस्ट साइड में दीखने लगते हैं जो आपके पसंद के हों। आपकी रूचि से सम्बंधित पेज ,ग्रुप या अन्य विज्ञापन सब के सब आने शुरू हो जाते हैं। अच्छा तो लगता है पर आखिर facebook को हमारी पसंद नापसंद , हमारे शौक का पता कैसे चलता है। जी हाँ सोचने वाली बात है एक प्रोग्रामिंग साइट हमारे बारे में इतना कुछ कैसे जानती है ? और न केवल हमारे बारे में बल्कि हमारे मित्र ,रिश्तेदार और सहकर्मियों के बारे में पूरी की पूरी जानकारी का पता है उसे।
दोस्तों जब भी हम facebook या कोई भी सोशल साइट चलाते हैं हम जाने अनजाने अपने ,अपने रिश्तेदारों ,अपने मित्रों के बारे में बहुत कुछ उस साइट को बता देते हैं। आपका नाम ,पता ,उम्र ,मेल आईडी ,मोबाइल नंबर ,सेक्स यानि बहुत कुछ। ये सोशल साइट्स भी चुपके चुपके आपकी हर गतिबिधि , आपकी पसंद, नापसंद , प्यार , नफरत , राजनितिक झुकाव , धार्मिकता , रंग आदि का डाटा कलेक्ट करती रहती हैं उनका अध्ययन , उनका विश्लेषण करती रहती हैं और उसी के हिसाब से मार्केट प्लानिंग की जाती है और आपके सामने सारी चीज़ें परोसी जाती हैं और सामान्य मनोविज्ञान के आधार पर हम उस जाल में फंस जाते हैं। कई बार हम हमारी मृत्यु कब ,कैसे होगी , पिछले जन्म में आप क्या थे , मुफ्त में रिचार्ज पाने के लिए इसे 20 लोगों को शेयर करे इस तरह के massage में उत्सुकता या लालचवश क्लिक करते हैं और अपनी और अपने जान पहचान वाले लोगो का डाटा एक्सेस करा देते हैं।
जहाँ तक खरीद बिक्री या मार्केटिंग की बात है सब चलता है पर जब इसी डाटा का प्रयोग या यू कहे दुरुपयोग हमारी मानसिकता को प्रभावित करने में किया जाने लगता है तब खतरे की स्थिति उत्पन्न होती है। इस डाटा का प्रयोग चुनाव में रुझान को प्रभावित करने में किया जा सकता है , धार्मिक वैमनस्य , जातीय दंगे , कराने के लिए भी किया जा सकता है समाज को तोड़ने तथा दुश्मन देश के मदद करने में भी किया जा सकता है। हमने अपने इतिहास और पौराणिक कथाओं में हमने देखा है बाली और रावण के मृत्यु का एक राज लीक होने पर कैसे उसकी हार और मृत्यु का कारण बना। कई राज घराने जमींदोज़ हो गये जब दुश्मनो को उनकी गुप्त जानकारियां मिल गयी। भारत के करीब 25 करोड़ facebook प्रयोगकर्ताओं का डाटा भारत को डाटा चुराने वालों का मानसिक गुलाम बना सकता है। हम उसके हिसाब से सोचना , निर्णय लेना पसंद करना शुरू कर सकते हैं।
ताजा घटनाक्रम में British Data Analytics Firm Cambridge Analytica का नाम आना जिस पर पांच करोड़ facebook users का डाटा चुराने और उसे अमेरिकी चुनाव में ट्रम्प प्रति रुझान बनाने में हुआ है। चुकि इसी कंपनी को 2010 में बिहार चुनाव में कॉन्ट्रैक्ट मिला था और जिसमे उसके कैंपेन के 90 प्रतिशत से अधिक उम्मीदवारों की जीत हुई थी। खबर यह भी है इसी Cambridge Analytica से 2019 के चुनाव में सेवाएं लेने की बात कुछ दलों से हो रही है।
इस डाटा चोरी के मामले में Facebook को करीब 4 खरब का नुकसान उठाना पड़ा। उसके शेयर करीब 7 प्रतिशत टूट गए इतना ही नहीं Facebook के सी ई ओ मार्क जुकरबर्ग अमेरिका और यूरोप के सांसदों ने पेश होने को भी कहा है। Facebook के दिए गए स्टेटमेंट में बताया गया कि अमेरिकी चुनाव के दौरान एक क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था जिसमे पर्सनालिटी एनालिसिस एप्प के लिए यूजर्स को साइन अप किया गया था जिसका इस्तेमाल अकैडमिक पर्पस में होना था। लगभग 2. 70 लाख लोगों ने अपने तथा अपने सम्बन्धो से इस ऍप को साइन अप करवाया। इस एप्प के द्वारा उनकी सारी पर्सनल डिटेल उसके निर्माणकर्ता के पास चली गयी। अब जिस प्रोफेसर को इस प्रतियोगिता का आयोजन करने की जिम्मेदारी दी गयी थी उसने सारा डाटा Cambridge Analytica को बेच दिया। माना यह जाता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में इसका वोटो को प्रभावित करने में जमकर प्रयोग किया गया। जाँच चल रही है।
जांच के नतीजे जो भी हो पर यह हमारे लिए और हमारे भविष्य के लिए एक बहुत बड़ी चेतावनी है।
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