आज कम्पटीशन,टारगेट और टेंशन की जिंदगी ने हमारे लाइफ स्टाइल को काफी बदल के रख दिया है। जीवन के इस बदलाव और आरामतलब जिंदगी ने कई बीमारीओं को जन्म दिया है। जिसमे से एक है डायबिटीज या मधुमेह। आज भारत में करीब 70 मिलियन लोग diabetes से ग्रस्त हैं। यह अपने आप में कोई बीमारी नहीं है पर बहुत से खतरनाक रोगों का जनक है।
Diabetes वास्तव में हमारे रक्त में शुगर की मात्रा सामान्य स्तर से बढ़ने की स्थिति को कहते हैं। यह स्थिति तब आती है जब हमारे शरीर में पाचन के उपरांत बने ग्लूकोस का अवशोषण कोशिकाओं के द्वारा नहीं हो पाता। रक्त में मौजूद यह शुगर हमारे कई अंगों को डैमेज कर देता है। कई बार हमें तब पता चलता है जब काफी नुकसान हो चूका होता है। यही वजह है कि इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है।
हमारे शरीर में सामान्य अवस्था में शुगर लेवल खाली पेट 70 से 100 mg /dl होना चाहिए जबकि खाना खाने के बाद 120 से 140 mg /dl जब हमारे रक्त में शुगर लेवल इससे अधिक हो तो इसे diabetes या सामान्य बोलचाल में शुगर होना कहते हैं।
डायबिटीज होने पर हमारे शरीर में कई लक्षण नज़र आते हैं हालाँकि कई बार लोग इसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं पर यदि शुरू से ही ध्यान दिया जाय तो इससे होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।
- अत्यधिक भूख या प्यास लगना
- लगातार कमजोरी और खूब थकान का होना
- अचानक वजन कम होना
- बार बार पेशाब लगना
- आँख से धुंधला दिखना
- त्वचा तथा गुप्त अंगों में इन्फेक्शन या घाव होना
- जख्म जल्दी नहीं भरना
- पेशाब में चींटी लगना
- हाथ पैरों में झनझनाहट और टास लगना
Diabetes में हमारे रक्त में शुगर लेवल बढ़ जाता है ऐसा दो वजहों से हो सकता है पहला हमारा शरीर पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन निर्माण नहीं कर पा रहा हो या हमारी कोशिकाएं उस इन्सुलिन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं कर पा रही हों। इन्सुलिन वह हार्मोन है जो भोजन पचने के बाद बने ग्लूकोस को शरीर की कोशिकाओं द्वारा अवशोषित करने में मदद करता है। हमारा भोजन पचने के बाद ग्लूकोस में परिवर्तित हो जाता है और यह ग्लूकोस हमारे शरीर की कोशिकाओं में रक्त के द्वारा पहुंचाया जाता है जहाँ वह इन्सुलिन की मदद से कोशिकाओं में अवशोषित किया जाता है। यहाँ पर कोशिकाओं में इस ग्लूकोस का ऑक्सीकरण होता है जिसके फलस्वरूप ऊर्जा मुक्त होती है। इसी ऊर्जा की बदौलत हमारा शरीर कार्य करता है। इन्सुलिन की कमी से यह प्रक्रिया नहीं हो पाती और हमें ऊर्जा नहीं मिलती और हमें थकान महसूस होती है साथ ही वह सारी ग्लूकोस हमारे रक्त में ही मौजूद रह जाती है जो हमें नुकसान पहुँचाती है।
ब्लड शुगर बढ़ने के कई कारण हैं :
ब्लड शुगर बढ़ने के कई कारण हैं :
- पैंक्रियास जहाँ इन्सुलिन का निर्माण होता है का सही तरह से या बिलकुल काम नहीं करना
कई बार किसी इन्फेक्शन या किसी अन्य वजह से पैंक्रियास काम करना बंद कर देती है या बहुत ही कम इन्सुलिन का निर्माण करती है। इस वजह से हमारे रक्त को पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन नहीं मिल पाता और हम डायबिटीज के शिकार हो जाते हैं।
- जीवन शैली और खानपान जिसमे जंक फ़ूड और मीठे की अधिकता होती है
आज की भागदौड़ की लाइफ जिसमे मुख्य भोजन की जगह जंक फ़ूड और कोल्ड ड्रिंक,केक,पेस्ट्री,मिठाई से काम चलाया जाता है वह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है। कई बार भोजन में मीठे की अधिकता और बारम्बारता इस रोग को निमंत्रित करता है। आधुनिक जीवन शैली जिसमे शारीरिक श्रम नगण्य रह गया है वह भी इस रोग के लिए खतरनाक है।
- आनुवंशिक कारण
कई बार देखा जाता है कि जिनके माँ बाप में किसी को भी यह रोग रहा है तो उनके बच्चों को भी यह रोग हो जाता है।
- तनावपूर्ण जीवन
आज के दौर में काम की भागदौड़ तथा टारगेट पूरा करने का प्रेशर लगभग सभी को होता है और इससे काफी मानसिक तनाव होता है। कई बार कई और कारणों से लोग टेंशन में जीते हैं। ऐसा देखा गया है कि मानसिक तनाव के साथ जीने वाले लोगों को अन्य लोगों की अपेक्षा डायबिटीज होने की संभावना अधिक होती है।
- मोटापा
मोटे लोगों में डायबिटीज होने के चांस बढ़ जाते हैं।
- विलासिता और आराम की जीवन शैली
- जीवन शैली और खानपान में परिवर्तन ला कर डायबिटीज टाइप टू को 80 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
- भारत में पांच में से एक व्यक्ति डायबिटीज से ग्रसित है
- शारीरिक श्रम और एक्सरसाइज इसमें काफी फायदेमंद होता है।
- यह किसी भी उम्र में हो सकता है।
- भारत में हर वर्ष करीब 27000 बच्चे इसकी वजह से मर जाते हैं।
- यह एक आनुवंशिक बीमारी है यदि माँ बाप किसी को हो तो संतान में होने की संभावना ज्यादा होती है।
- इससे किडनी फेलियर, हार्ट अटैक , अंधापन,स्ट्रोक आदि हो सकते हैं।
- टाइप 2 रोगिओं के सामान्य लोगों की अपेक्षा 5 से 10 साल आयु कम हो जाती है। Type One और Type Two डायबिटीज क्या है
डायबिटीज दो प्रकार का होता है टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज
टाइप 1 डायबिटीज : यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है इसमें हमारे शरीर की श्वेत कोशिकाएं यानि WBC पैंक्रियास की इन्सुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देती हैं अतः शरीर में बिलकुल ही इन्सुलिन नहीं बनता।
टाइप 2 डायबिटीज : इस तरह के डायबिटीज में इन्सुलिन बनता तो है पर कम मात्रा में। कई बार इस प्रकार के बने इन्सुलिन का हमारी कोशिकाएं उपयोग नहीं कर पाती। इसे non insulin dependent diabetes mellitus या NIDDM भी कहते हैं।
टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज में क्या अंतर है जानने के लिए क्लिक करें
यूं तो बढ़ी हुई शुगर हमारे शरीर के लगभग सारे अंगों को प्रभावित करता है तो भी यह मुख्य रूप से हार्ट,किडनी,दिमाग इत्यादि पर असर डालता है। डायबिटीज से होने वाले मुख्य रोग
- आँखे: डायबिटीज की वजह से हमारे आँखों पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। यह नर्वस और सर्कुलटोरी सिस्टम पर असर डालता है जिससे रेटिना क्षतिग्रस्त हो जाती है साथ ही मोतियबिंद,ग्लूकोमा होने की संभावना बढ़ जाती है।
- किडनी: लम्बे समय तक डायबिटीज नियंत्रित न किया जाय तो यह किडनी को संक्रमित कर देता है जिससे की किडनी फेल होने की संभावना बढ़ जाती है।
- हार्ट: डायबिटीज कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम को भी प्रभावित करता है जिससे सीने में दर्द, स्ट्रोक,हार्ट अटैक भी हो सकता है।
- ब्रेन: दिमाग में खून पहुंचाने वाली नसों के प्रभावित होने से वहां पर्याप्त खून नहीं पहुंच पाता,जिससे दिमाग का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाता है और मेमोरी लॉस हो सकता है। ज्यादा शुगर होने की स्थिति में अल्ज़ाइमर्स का खतरा बढ़ जाता है।
- घुटने तथा पैर : डायबिटीज के केस में रक्त का प्रवाह नीचे की ओर कम हो जाता है इससे घुटने में दर्द आदि की समस्या आती है। रक्त प्रवाह कम होने से पैरों के अलसर जल्दी ठीक नहीं होते और कई बार पैरों को काटने की नौबत आ जाती है।
- त्वचा सम्बन्धी रोग : डायबिटीज की वजह से कई बार त्वचा में इन्फेक्शन हो जाता है जिसमे सफ़ेद पपड़ी की तरह चकते बनने लगते हैं कई बार मूत्र मार्ग पर छाले या पस की तरह बन जाता है।
डायबिटीज के नियंत्रण और बचाव के उपाय
डायबिटीज को पूर्ण रूप से ख़त्म नहीं किया जा सकता पर अपने जीवन शैली और खानपान में परिवर्तन ला कर नियंत्रित किया जा सकता है
- उपर बताये गए लक्षण यदि आप में भी दिख रहे हो तो बिना देरी किये डॉक्टर से मिलिए और डायबिटीज की जांच कराएं।
- डॉक्टर द्वारा बताई गयी दवा जरूर और नियमित रूप से लें।
- समय समय पर अपने ब्लड की जांच करवाते रहें।
- तनाव से परहेज करें। तनाव से बचने के लिए योगा,ध्यान,म्यूजिक इत्यादि करें या सुने।
- शारीरिक श्रम को प्राथमिकता दें सुबह में आधे घंटे तक टहलना काफी लाभदायक होता है।
- मिठाई, आइसक्रीम, केक या कोई भी मीठी चीज़ से सख्ती से परहेज़ करें।
- पर्याप्त मात्रा में नींद लें।
- खाली पेट न रहें। अपने दिन भर के भोजन की मात्रा को इस प्रकार बना ले कि उतना ही भोजन हो पर वह हर दो दो या तीन तीन घंटे में लिया जाय। कहने का मतलब है कि किसी भी दो भोजन के बीच ज्यादा समय का गैप न रहे।
- टाइप 1 के केस में डॉक्टर की सलाह परम आवश्यक है इसमें नियमित रूप से इन्सुलिन का इंजेक्शन लेना पड़ता है। यबिटीज से जुड़े कुछ भ्रम और सत्य
डायबिटीज के सम्बन्ध में सामान्य भ्रांतियां और सच :
- डायबिटीज 40 वर्ष के ऊपर के लोगों को होता है
यह कुछ हद तक तो सही है पर पूर्ण रूप से सत्य नहीं है यह किसी भी उम्र में हो सकता है। कई बार तो यह छोटे बच्चों को हो जाता है
- ज्यादा मीठा खाने से डायबिटीज हो जाता है
यह सत्य नहीं है। मीठे से डायबिटीज होने या न होने में कोई सम्बन्ध नहीं है। यह बात सही है की डायबिटीज होने के बाद मीठे से परहेज करना चाहिए।
- मीठे और चावल आलू से परहेज करने के बाद दवा की जरुरत नहीं होती
यह गलत है। परहेज करने के बाद भी हम जो खाते हैं उसका कार्बोहैड्रेट ग्लूकोस में बदलता है उस ग्लूकोस को कोशिकाओं तक अवशोषित कराने के लिए दवा जरुरी है।
- जड़ी बूटी या कड़ुए तीते पत्ते करेले इत्यादि के बाद दवा की जरुरत नहीं होती
कई लोग मानते हैं कि यह मीठे की बीमारी है तो जितना ही तीखे या कड़ुए का सेवन किया जाये वह इसे कम कर देगा। जड़ी बूटी या नीम,करेले इत्यादि का सेवन करते समय किसी योग्य आयुर्वैदिक चिकित्सक की सलाह जरूर लें स्वयं या किसी के बताने पर न लें और चिकित्सक की सलाह पर ही अंग्रेजी दवा का सेवन बंद करना चाहिए।
- डायबिटीज डायबिटीज पूर्ण रूप से ठीक हो सकता है
कई बार विज्ञापनों के माध्यम से कुछ झोलाछाप डॉक्टर यह दावा करते हैं कि उनके यहाँ डायबिटीज का इलाज है और वे इसको पूर्ण रूप से ठीक कर सकते हैं। ऐसे भ्रामक विज्ञापनों तथा डॉक्टरों के झांसे में न आएं। डायबिटीज पूर्ण रूप से कभी ठीक नहीं होता और इसकी दवा हमेशा लेनी पड़ती है।
- डायबिटीज में गुड़ खाया जा सकता है
डायबिटीज में मीठे से परहेज किया जाता है। अतः कोई भी मीठी चीज़ नहीं लेनी चाहिए। गुड़ का ग्लाइसेमिक इंडेक्स अधिक होता है अतः किसी भ्रम में न रहे और इसका परहेज करें
- डायबिटीज में फल नहीं खाना चाहिए
उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फल जैसे अंगूर,केला,लीची,आम इत्यादि से बचना चाहिए किन्तु पपीता,संतरा,तरबूज,सेब आदि का सेवन किया जा सकता है।
डायबिटीज में क्या नहीं खाना चाहिए जानने के लिए निम्न लिंक पर जाएँ
https://www.saansthelife.com/2018/09/diabetes-ya-sugar-me-kya-na-khaye-saat.html
डायबिटीज में क्या नहीं खाना चाहिए जानने के लिए निम्न लिंक पर जाएँ
https://www.saansthelife.com/2018/09/diabetes-ya-sugar-me-kya-na-khaye-saat.html
डायबिटीज वैसे तो बहुत ही खतरनाक बीमारी है पर कुछ बातों का ध्यान रख कर इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
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