हमने अकसर देखा है कि रमजान गर्मी में पड़ते हुए धीरे धीरे कुछ सालों में जाड़े में पड़ने लगता है यानि हर वर्ष रमजान आगे की ओर खिसकते जाता है । इस साल रोज़ा 17 मई से शुरू हुआ जबकि पिछले वर्ष यह 28 मई से शुरू हुआ था और अगले वर्ष यह 6 मई से शुरू होने की संभावना है। ऐसा क्यों होता है आईये देखते हैं इसकी वजह क्या है ?
रमजान के इस तरह हर साल अलग अलग समय पर शुरू होने की वजह जानने के पहले हमें इस्लामी कैलेंडर यानि हिज़री सम्वत को जानना होगा। अंग्रेजी कैलेंडर यानि ग्रेगरियन कैलेंडर एक सोलर कैलेंडर होता है यानि यह पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा करने के समय पर आधारित होता है। यह 365 दिन 8 घंटे का होता है। हिज़री कैलेंडर लूनर कैलेंडर है यह चन्द्रमा की गति पर आधारित होता है अतः यह 355 या 354 दिन का होता है। इसी वजह से हर साल यह अंग्रेजी कैलेंडर की तुलना में लगभग 11 दिन पहले पूरा होता है और इसी वजह से रमजान और अन्य त्यौहार पिछले साल की तुलना में 11 दिन पहले पड़ता है। इसी तरह से तीन साल में यह करीब एक महीने पहले हो जाता है और कुछ सालों में आने वाले सीजन में पड़ने लगता है। अंग्रेजी कैलेंडर में लीप ईयर में फ़रवरी में एक दिन बढ़ा कर तीन साल में एक दिन के गैप को पूरा कर लिया जाता है इसी तरह हिंदी कैलेंडर में हर तीसरे साल एक महीने का मलमास या अधिमास बढाकर दिनों के अंतर को पूरा कर लिया जाता है जबकि हिजरी सम्वत में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। यही कारण है कि रमजान गर्मी से धीरे धीरे खिसकते हुए जाड़े में पड़ने लगता है। यह करीब 33 सालों में फिर उसी सीजन में पड़ने लगता है।