रमजान मुसलमानो का सबसे पवित्र महीना माना जाता है। इस महीने प्रत्येक दिन मुस्लमान रोज़ा रखते हैं और अगले महीने शव्वाल की पहली तारीख को ईद मनाते हैं। रमजान को अरबी में रमादान कहते हैं जिसका अर्थ होता है सूरज की गर्मी। इसे ऐसा इसलिए कहा गया क्योंकि ऐसा विश्वास है कि इस महीने उनके सारे पाप जल के ख़त्म हो जाते है। आईये देखते हैं रमज़ान महीने की कुछ ख़ास बातें :
- रमजान हिज़री कैलेंडर का नौवां महीना होता है इस महीने में प्रत्येक दिन हर मुस्लमान का फ़र्ज़ होता है कि वह रोज़ा रखे। इसमें छोटे बच्चों,गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों छूट मिलती है।
- रमजान के नियम बहुत ही सख्त हैं ऐसा माना जाता है कि इस महीने में नियमों का पालन करने से इंसान और अल्लाह के बीच दुरी कम हो जाती है। यह भी माना जाता है कि इस महीने में हर रोज़े और नेकियों का सत्तर गुना उनको मिलता है।
- पहला रमजान 610 ईस्वी में कुरान के अवतरित होने के उपलक्ष्य में शुरू किया गया था।
- रमजान को नेकियों का महीना कहा जाता है और इसे मौसम ए बहार कहा जाता है।
- रमजान महीने को तीन भागों में बाटा गया है पहले दस रोज़ को रहमतों का दौर,दूसरे दस दिन को माफ़ी का दौर और तीसरे दस दिन को जहन्नुम से बचाने का दौर कहा जाता है।
- रमजान के पुरे महीने मुसलमान तन और मन दोनों से रोज़ा रखते हैं अर्थात उपवास के अलावा मन को भी एकदम शुद्ध रखते हैं किसी के बारे में अपशब्द,न बोलते हैं और न सोंचते हैं। वास्तव में हर अंग को रोज़ा होता है न आँखों से गलत देखना है न कानो से गलत सुनना है न मुँह से गलत बोलना है न पैरों से गलत राह पर चलना है और न ही बुरा सोचना है।
- रमजान में क्रोध पर काबू रखा जाता है। मुस्लिमों से अपेक्षा की जाती है कि वे झगडे लड़ाई से बचें इसके साथ ही महिलाओं के प्रति गलत निगाह रखने की मनाही है। इस महीने में सामान्यतः यौन सम्बन्ध की भी मनाही होती है।
- सुबह सूर्य उगने के पहले वे सहरी खाते है और फिर शाम को सूर्यास्त के बाद रोज़ा खोलते हैं।
- रोज़ा खोलने के बाद रात को वे तरावीह पढ़ते हैं।
- पुरे महीने के दौरान कुरान शरीफ का पाठ करते है और सुनते हैं।
- इसी महीने की सत्ताईसवीं तारीख को शब् ए क़द्र को कुरान के धरती पर अवतरित होने की रात होती है और इस रात पूरी रात जाग कर अल्लाह को याद किया जाता है और कुरान शरीफ का पाठ होता है।
- इस पुरे महीने जरूरतमंदों की मदद जकात यांनी दान इत्यादि दिया जाता है।
- महीने के आखरी जुम्मे को अलविदा जुम्मा कहा जाता है इस दिन सामूहिक नमाज अदा की जाती है।
- तीस रोज़ बीतने पर शव्वाल की पहली तारीख को ईद मनाई जाती है। जिसमे सारे मुसलमान ईदगाह या मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ते हैं।
रमजान पुरे एक महीने अपने कायदे कानूनों के द्वारा इंसान में इंसानियत की भावना पैदा करने के साथ साथ भाईचारे और एकता की भावना को जगाता है।
0 टिप्पणियाँ