पेले का जन्म और वास्तविक नाम
पेले का जन्म 21 अक्टूबर 1940 ट्रेस कोरकोस, ब्राज़ील में हुआ था। इनका वास्तविक नाम एडिसन एडसन अरांटिस डो नैसिमेंटो था। इनके पिता का नाम जो रैमस डो नैसमैंटो और माता का नाम सेलेस्टे अरांटिस था। उनके पिता उनका नाम महान वैज्ञानिक एडिसन के नाम पर एडिसन रखना चाहते थे। लेकिन वे एडिसन की जगह एडसन चाहते थे किन्तु स्पेलिंग मिस्टेक की वजह से स्कूल में एडसन की जगह उनका नाम एडिसन ही हो गया।
पेले उपनाम क्यों पड़ा
उनके परिवार ने उनको डिको उपनाम दिया था। उनका नाम पेले उन्हें स्कूल के दिनों में मिला जो कि उनके पसंदीदा खिलाडी वास्को डी गामा के गोलकीपर बिले के नाम का गलत उच्चारण करने की वजह से दिया गया था। लड़के उन्हें पेले नाम से पुकारने लगे। वे जितना ही मना करते यह नाम उनके साथ जुड़ता ही चला गया। अपनी आत्मकथा में पेले ने स्वीकार किया है कि न तो उन्हें और न ही उनके मित्रों को इस नाम का अर्थ पता था। पुर्तगाली भाषा में इस शब्द का कोई अर्थ नहीं है पर हिब्रू भाषा में यह चमत्कार के लिए यह प्रयुक्त होता है। तो भी पेले के अनुसार बिले के गलत उच्चारण ही उसके नाम की वजह बनी।
पेले का प्रारम्भिक जीवन
पेले का बचपन बहुत अच्छा नहीं था। वे गरीबी में पले। अतिरिक्त पैसे के लिए उन्हें चाय की दुकान पर नौकरी करनी पड़ी। उन्हें शुरू शुरू में मोज़े में अख़बार ठूस कर और उसे रस्सी या ग्रेपफ्रूट से बांध कर खेलना पड़ता था।
पेले की प्रतिभा को सबसे पहले डी ब्रिटो ने पहचाना। उसने 1956 सांतोस फुटबॉल क्लब में पेले को दाखिल कराने ले गया जहाँ उसने उसका परिचय कराते हुए बोला कि यह लड़का विश्व का सबसे महान फूटबाल खिलाडी बनेगा।
पेले सांतोस से खेलते हुए मात्र सोलह वर्ष की अवस्था में वे लीग के सबसे अधिक गोल बनाने वाले खिलाडी बन गए। और उन्हें ब्राज़ील की राष्ट्रिय टीम में ले लिया गया। उन्होंने सांतोस के लिए अपना पहला ख़िताब 1958 में जीता। इस टूर्नामेंट में उन्होंने 58 गोल बनाये और शीर्ष स्थान पर रहे जो आज भी एक रिकॉर्ड है। पेले ने 19 नवम्बर 1969 को अपना 1000 वां गोल बनाया जो वास्को डी गामा के विरुद्ध मैरकाना स्टेडियम में पेनाल्टी किक द्वारा किया गया था। पेले ने अपने जीवन में कई अच्छे गोल किये पर उनका पसंदीदा गोल २ अगस्त 1959 को रुआ जावारी में साओ पालो के जुवेंटस के खिलाफ एक कैम्पियनातो पालिस्ता मैच में हुआ था। पेले ने अपने क्लब के लिए कई यादगार और रिकॉर्ड वाले मैच खेले। 7 जुलाई 1957 को पेले ने अपना पहला अंतराष्ट्रीय मैच अर्जेंटीना के खिलाफ खेला जिसमे उन्हें 2 -1 से हार मिली। उस उस मैच में उन्होंने ब्राज़ील के लिए अपना पहला गोल किया जो कि 16 वर्ष 9 माह की उम्र में किसी अंतराष्ट्रीय फूटबाल मैच में गोल करने वाले सबसे कम उम्र के खिलाडी बने। उनका पहला विश्व कप मैच 1958 का फीफा विश्व कप था। किसी भी विश्व कप में गोल करने वाले वे सबसे कम उम्र के खिलाडी थे। उन्होंने यह कारनामा 17 वर्ष 239 दिन की उम्र में किया था। इसी विश्व कप में वे सेमी फाइनल में फ्रांस के विरुद्ध हैट ट्रिक लगाकर विश्व में सबसे कम उम्र में विश्वकप में हैट ट्रिक लगाने वाले खिलाडी बन गए। इसी प्रकार किसी भी विश्व कप के फाइनल में सबसे कम उम्र में खेलने का रिकॉर्ड भी उन्ही का है। उन्होंने यह 17 वर्ष 249 दिन की उम्र में खेला था। इस मैच में उनका वॉली शॉट वाला गोल जो उन्होंने उछल के लगाया था विश्व के सबसे बढियाँ गोलों में से एक माना जाता है। इसके बाद 1962 के विश्व कप में उन्हें पूरा खेलने का मौका नहीं मिला। वे चेकोलोवाकिया के विरुद्ध एक शॉट मारते समय घायल हो गए थे। 1966 का विश्व कप उनके लिए बढ़िया न रहा। इसमें बल्गेरियाई और पुर्तगाली टीमों द्वारा उनपर खेल के दौरान खुखार हमले किये गए ताकि वे टीम से बाहर हो जाएँ और टीम कमजोर हो जाये। इस विश्व कप के दौरान वे बुरी तरह से घायल हो गए थे। ब्राज़ील प्रथम राउंड में ही बाहर हो गया। पेले द्वारा खेला गया आखरी विश्व कप 1970 का था जिसमे उसने 6 गोल बनाये थे।
पेले का आखिरी अंतराष्ट्रीय मैच युगोस्लाविया विरुद्ध रिओ डी जेनेरिओ 18 जुलाई 1971 में हुआ था।
पेले ने ब्राज़ील के फुटबाल को बुलंदियों पर पहुंचाया। पेले के खेल के दौरान ब्राज़ील का रिकॉर्ड 67 जीत ,14 ड्रा और 11 पराजय का था। ब्राज़ील को तीन विश्व कप दिलाने में भी उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण थी। उनके और गैरीचा के मैदान पर रहते ब्राज़ील ने कभी कोई मैच नहीं हारा था।
1962 के विश्व कप के बाद रियाल मैड्रिड,जुवेंतस और मेनचेस्टर यूनाइटेड जैसे कई यूरोपियन क्लबों ने पेले को अपनी टीम में शामिल करने के लिए कई ऑफर दिए किन्तु ब्राज़ील सरकार ने पेले को देश से बाहर स्थान्तरित होने से रोकने के लिए उन्हें आधिकारिक राष्ट्रिय सम्पदा घोषित कर दिया।
पेले का आखिरी अंतराष्ट्रीय मैच युगोस्लाविया विरुद्ध रिओ डी जेनेरिओ 18 जुलाई 1971 में हुआ था।
पेले ने ब्राज़ील के फुटबाल को बुलंदियों पर पहुंचाया। पेले के खेल के दौरान ब्राज़ील का रिकॉर्ड 67 जीत ,14 ड्रा और 11 पराजय का था। ब्राज़ील को तीन विश्व कप दिलाने में भी उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण थी। उनके और गैरीचा के मैदान पर रहते ब्राज़ील ने कभी कोई मैच नहीं हारा था।
1962 के विश्व कप के बाद रियाल मैड्रिड,जुवेंतस और मेनचेस्टर यूनाइटेड जैसे कई यूरोपियन क्लबों ने पेले को अपनी टीम में शामिल करने के लिए कई ऑफर दिए किन्तु ब्राज़ील सरकार ने पेले को देश से बाहर स्थान्तरित होने से रोकने के लिए उन्हें आधिकारिक राष्ट्रिय सम्पदा घोषित कर दिया।
पेले के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें
- 1967 में नाइज़ीरिआ के गृह युद्ध में दोनों गुट 48 घंटे का युद्ध विराम करने को सिर्फ इस लिए तैयार हो गए ताकि वे पेले को लागोस में खेलते देख सकें।
- पेले को अपने देश में राष्ट्रिय हीरो के रूप में जाना जाता है। उन्हें फूटबाल का शहंशाह ओ रे डू फूटेबाल, ओ रे पेले या ओ रे कहा जाता है।
- उन्हें फूटबाल का ब्लैक डायमंड भी कहा जाता है।
- 1999 में उनको इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ फुटबॉल हिस्ट्री एंड स्टेटिस्टिक्स (IFFHS) शताब्दी के फुटबॉल खिलाडी के रूप में चुना गया।
- उसी वर्ष फ्रांस फूटबाल पत्रिका के द्वारा भी शताब्दी के खिलाडी के रूप में उनका स्थान प्रथम था।
- पेले विश्व के एकमात्र खिलाडी हैं जो तीन विश्व विजेता टीम के हिस्सा थे।
- पेले ने 1363 मैचों में कुल 1281 गोल किये हैं। 1000 गोल करने वाले वे दुनिया के प्रथम खिलाडी हैं।
सम्मान और उपाधियाँ
पेले को अनगिनत सम्मान मिले हैं जिनमे से कुछ ये हैं :
- शताब्दी का खिलाडी सम्मान
- बी बी सी स्पोर्ट्स पर्सनालिटी ऑफ़ द ईयर लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड
- 1993 में अमेरिकी नेशनल सॉकर हॉल ऑफ़ फेम
- साउथ अमेरिकन फुटबॉलर ऑफ़ द ईयर 1973
- ब्रिटिश साम्राज्य के नाइट कमांडर 1997
- 1989 में DPR कोरिया ने पेले पर एक डाक टिकट जारी किया।
- राइटर्स समाचार एजेंसी द्वारा 1999 में एथलीट ऑफ़ द ईयर
- उसी वर्ष unicef द्वारा फुटबाल प्लेयर ऑफ़ द सेंचुरी
- टाइम मैगज़ीन द्वारा 100 मोस्ट इम्पोर्टेन्ट पीपल ऑफ़ द 20 th सेंचुरी 1999
- साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला द्वारा लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड्स लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड 2000
- 1999 में उनको इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ फुटबॉल हिस्ट्री एंड स्टेटिस्टिक्स (IFFHS) शताब्दी के फुटबॉल खिलाडी
- तीन फीफा विश्व कप सम्मान
- 1958 फीफा सिल्वर बूट
- 1958 फीफा सिल्वर बॉल
- गोल्डन बॉल
- 1992 में पेले को पारिस्थितिकी और पर्यावरण के लिए संयुक्त राष्ट्र का राजदूत नियुक्त किया गया।
- 1965 में उन्हें खेल में विशेष सेवाओं के लिया ब्राज़ील का स्वर्ण पदक प्रदान किया गया।
- इसके अलावा उन्हें क्रीड़ा के विलक्षण मंत्री नियुक्त किया। गया। उन्होंने फुटबॉल में भ्रष्टाचार को कम करने के लिए एक कानून पारित करवाया जिसे पेले कानून कहा जाता है।
- उन्हें यूनेस्को का सद्भावना राजदूत भी बनाया गया।
पेले के खेल की पोजीशन और खूबियां
पेले का खेल अद्भुत कौशल,तकनीक,पावर और चातुर्य का मिश्रण था। वे इनसाइड सेकंड फॉरवर्ड के रूप में खेलते थे जिसे प्लेमेकर कहा गया। उनके खेल में ड्रिबिंग,रफ़्तार,शक्तिशाली शॉट, असाधारण हेड करने की क्षमता और गोल बनाने का जोश अतुलनीय था। उनके उत्तेजक खेल और दर्शनीय गोल उन्हें लोगों के बीच हीरो बना दिया।
पेले का वैवाहिक जीवन
पेले ने 21 फ़रवरी 1966 को रोज़मेरी डॉस रेइस चालबी से शादी की। उनकी दो बेटियां केलि क्रिस्टीना और जेनिफर और एक पुत्र एडसन है। पेले ने चालबी से 1978 में तलाक ले लिया। अप्रैल 1996 में पेले ने गॉस्पेल गायिका एस्सीरिया लेमस से पुनः विवाह किया जिससे जोशुआ और सेलेस्टे नामक दो जुड़वाँ बच्चे पैदा हुए।फुटबॉल से इतर पेले
फुटबॉल से संन्यास लेने के बाद पेले अपने मित्र और फैशन व्यवसायी जोस अल्वेस डी अराउजो से जुड़ गए जो आजकल पेले ब्रांड का सञ्चालन करते हैं। इसमें प्यूमा एजी,पेलेस्टेशन,QVC,फ़्रेमेंटल मीडिया,पेले एल उओमो और पेले एरीना कॉफ़ी हाउसेस का सञ्चालन शामिल है।
इसके साथ ही पेले विभिन्न संस्थाओं साथ राजदूत के रूप में भी कार्य करते रहे हैं। उन्होंने ब्राज़ील के क्रीड़ा के विलक्षण मंत्री के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं। वे unicef ,यूनेस्को और संयक्त राष्ट्र के लिए भी राजदूत के रूप में काम किया।
पेले और फ़िल्मी दुनियां
फुटबॉल के अलावा पेले को अभिनय का भी शौक था। उन्होंने कई फिल्म तथा टीवी श्रृंखलाओं में काम किया था।
- ओएस अस्ट्रेनहॉस टीवी सीरियल 1969
- ओ बराओ ोटेलो नो बरातो डोस बिल्होस 1971
- एस्केप टू विक्ट्री 1981
- अ मार्चा 1973
- अ माइनर मिरेकल 1983
- पेड्रो मिको 1985 आदि
पेले ने अपने जीवन में जितनी उचाईओं को छुआ है जिन उपलब्धियों को हासिल किया है आने वाली पीढ़ियों को विश्वास करना कठिन हो जायेगा कि वह हाड़ मांस का मनुष्य ही था।
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