ट्रोल को समझने के पहले हमें हाल ही में घटी कुछ घटनाओं पर नज़र डालना होगा। अभी कुछ समय पहले की बात है देश में तमाम बलात्कार की बढ़ती घटनाओं पर कांग्रेस पार्टी की प्रियंका चतुर्वेदी ने एक ट्वीट किया। बात नार्मल से बयान की थी पर कुछ ही घंटों में इस एक ट्वीट को लेकर सोशल मीडिया में बवाल हो गया। उनके इस बयान की प्रतिक्रिया में बहुत से भद्दे भद्दे, अश्लील कमेंट आने लगे। एक ने तो उनकी बेटी से बलात्कार करने की धमकी तक दे डाली। दूसरी घटना सुषमा स्वराज के साथ हुई एक पासपोर्ट के मामले में लोगों ने उनके ट्वीटर अकाउंट पर भद्दे कमैंट्स और गालियों की बौछार कर दी। किसी के विचार से असहमत होना न होना स्वाभाविक है। विचारों का विरोध भी स्वाभाविक है किन्तु विरोध का यह स्वरुप किसी भी मायने में किसी सभ्य समाज का हिस्सा नहीं हो सकते। यह एक तरह की हिंसा है या यूँ कहे शाब्दिक हिंसा है वैचारिक बलात्कार है और मानसिक दिवालियापन है। एक तरह से यह चरित्र हनन या करैक्टर एसेसिनेशन है।
What is Troll ट्रोल किसे कहते हैं
सोशल मीडिया में इस तरह कमैंट्स करने की प्रक्रिया ट्रोल कहलाती है और ऐसा करने वाले ट्रोलर कहलाते हैं।
वास्तव में ट्रोल का सम्बन्ध ऐसे लोगों से होता है जो किसी भी मुद्दे या बहस में कूद कर आक्रामक, अश्लील और आपत्तिजनक बातों से उस विषय को भटका देते हैं। ये किसी के भी कमेंट या किसी व्यवहार को लेकर सोशल मीडिया पर एक मुहीम छेड़ देते हैं जिसमे धीरे धीरे बहुत से लोग शामिल हो जाते हैं और तो और उसके पक्ष में बोलने वाले को भी घसीट लेते हैं। बहुत बार यह मुहीम बहुत ही घटिया स्तर पर चली जाती है जिसमे गाली गलौज, अश्लील फोटोशॉप किये हुए फोटो, धमकी आदि का रूप ले लेती है। यह हरकत कमेंट करने वाले को बहुत ही मानसिक पीड़ा देती है।
कहाँ से आया है यह ट्रोल
ट्रोल शब्द का इतिहास खंगालने पर हम पाते हैं कि यह शब्द स्कैंडेनेविया की लोक कथाओं में खूब इस्तेमाल किया जाता था। उन लोक कथाओं में एक ऐसे जीव की चर्चा होती है जिसकी शक्ल बहुत ही भयानक और बदसूरत थी। यह जीव राहगीरों को डराते और धमकाते थे जिससे वे अपनी यात्रा पूरी नहीं कर पाते। इसी जीव को वे ट्रोल कहते थे। अब इसी तरह का काम फेसबुक,ट्विटर आदि सोशल मीडिया के माध्यम से वे लोग करते हैं जो मुद्दों को भटका कर कहने वाले को अपने विषय से दूर ले जाते हैं।
ट्रोल कौन करते हैं
ट्रोलिंग करने वाले एक हो सकते हैं समूह में हो सकते हैं या अलग अलग क्षेत्रों से भी हो सकते हैं। सभी ट्रोलिंग में वही लोग हो सकते हैं या भिन्न भिन्न लोग हो सकते हैं। हो सकता है जो आज एक मुद्दे या एक व्यक्ति को ट्रोल कर रहा हो वो कल किसी अन्य मुद्दे या अन्य व्यक्ति को ट्रोल न करे। यह भी हो सकता है वह या सभी लोग कई मामलों में ट्रोल कर रहे हों।
ट्रोल क्यों होता है
आज के दौर में ट्रोल एक गंभीर समस्या बन के उभर रही है। अब स्वाभाविक ट्रोल न होके इरादतन ट्रोल की जा रही है और करायी जा रही है। ख़बरों के अनुसार राजनितिक दलों ने अपने विरोधियों को नीचा दिखाने के लिए, उनको अपमानित करने के लिए और जनता में उनकी छवि ख़राब करने के लिए अपनी अपनी टीम बनाया हुआ है जिसे साइबर सेल का नाम दिया गया है। इन टीमों का काम ही है रोज़ अपने विरोधियों को ट्रोल करना। ये सोशल मीडिया के सभी माध्यमों से अपना एजेंडा चलाते हैं और उनके लाखों लोग इसे सच मानकर उसे शेयर और फॉरवर्ड करते रहते हैं।
ट्रोल के पीछे कारण
आखिर लोग ट्रोल करते क्यों हैं ? क्यों लोग अपना काम धाम छोड़ कर किसी को ट्रोल करते हैं ? मै इंटेंशनल ट्रोल की बात नहीं कर रहा हूँ। समाजशास्त्रियों और मनोवैज्ञानिकों के अध्ययन के अनुसार ट्रोल एक वैचारिक असहमति है जिसके फलस्वरूप उत्पन्न एक प्रतिहिंसा है इसके माध्यम से वो अपना गुस्सा जाहिर करता है। बहुत से लोग ऐसे हैं जो किसी और बात का बदला ट्रोल करके लेते हैं। पार्टी पसंद नहीं है उसके काम पसंद नहीं है तो उस पार्टी के किसी भी व्यक्ति के किसी भी वक्तव्य चाहे वह कितना भी सही कितना भी प्रासंगिक क्यों न हो, ट्रोल करेंगे। कई लोग जो आइडेंटी क्राइसिस से जूझ रहें हैं और जिसकी वजह से कुंठाग्रस्त हैं उनमे ये प्रवृति पाई जाती है। वे ऐसा करते हैं जिससे उन्हें पहचान मिल सके। कई लोग समाज में अपनी भावनाएं नहीं व्यक्त कर पाते हैं निराश और कुंठाग्रस्त रहते हैं वैसे लोग भी ट्रोल के माध्यम से अपनी भड़ास निकालते हैं।
कई बार कुछ लोग यूँ ही ट्रोल करने लगते हैं उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ फन या टांग खिचाई होता है। लेकिन विशेषज्ञों की माने तो ट्रोल तभी ट्रोल माना जायेगा जब उसके पीछे उद्देश्य या सोची समझी रणनीति हो अर्थात मुद्दे से भटकाना और आपको परेशां करना।
एक्सपर्ट्स के अनुसार ट्रोल के चार प्रकार होते हैं
एक्सीडेंटल ट्रोल : इस तरह का ट्रोल किसी व्यक्ति के द्वारा कभी भी किया जा सकता है। इसमें कोई सोची समझी नीति नहीं होती है। इस तरह के ट्रोल में व्यक्ति किसी स्टेटमेंट से असहमति की दशा में काफी आक्रामक हो जाता है और भद्दे भद्दे कमैंट्स करने लगता है। इससे ट्रोलड व्यक्ति काफी आहत और परेशां हो जाता है और मुद्दे से हट जाता है। चुकि इस तरह के ट्रोल में कोई सोची समझी रणनीति नहीं होती अतः बहुत से जानकार इसे ट्रोल नहीं मानते।
कॉर्पोरेट ट्रोल : इस तरह की ट्रॉल्लिंग बड़ी बड़ी कम्पनियों के द्वारा प्रायोजित की जाती है। इसके द्वारा वे कंपनी की झूठी तरक्की दिखाते हैं तथा पब्लिक में कंपनी के प्रोडक्ट को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जाता है।कंपनियां अपने कस्टमर्स बढ़ाने के लिए ट्रोल के माध्यम से अपने प्रोडक्ट को जनता के सामने लाती हैं। वास्तव में इस तरह से वे अपना विज्ञापन करती हैं।
पोलिटिकल ट्रोल : इस तरह के ट्रोल राजनितिक पार्टियों के द्वारा किये जाते हैं। पार्टियां अपने अपने साइबर सेल के द्वारा अपने पक्ष में हवा बनाने के लिए कई तरह के ट्रोल करवाती है। साथ ही ट्रोल के द्वारा पार्टियां जनता के बीच कोई निगेटिव इमेज न बने इसका प्रयास करती है।
आर्गनाइज्ड ट्रोल : हॉवर्ड विश्वविद्यालय के राजनीती शास्त्र के प्रोफेसर गैरी किंग के अनुसार इस समय पूरी दुनिया में आर्गनाइज्ड ट्रोल का सबसे ज्यादा चलन है। कंपनियां या राजनितिक पार्टियां,सरकारें सोची समझी रणनीति के तहत लोगों की एक फौज खड़ी करती है। इनका काम ही ट्रोल करना होता है। इसके माध्यम से सोशल मीडिया में इनके पक्ष में हवा बनायीं जाती है। विरोधियों की छवि ख़राब की जाती है। गैरी किंग के अनुसार आर्गनाइज्ड ट्रोल सबसे खतरनाक किस्म का ट्रोल होता है। प्रोफेसर किंग की रिपोर्ट की माने तो पिछले साल चीन ने 44 करोड़ पोस्ट सरकारी नीतियों के पक्ष में करवाए थे। यह एक आर्गनाइज्ड ट्रोल था जिससे कि माहौल सरकार के पक्ष में बना रहे। कथित रूप से बीजेपी के साइबर सेल में काम कर चुकी साध्वी खोसला ने अपनी किताब में यह उजागर किया था कि पार्टी ने कुछ ख़ास लोगों की एक लिस्ट तैयार करके रखी है और इस साइबर सेल के कर्मचारी उस लिस्ट में शामिल लोगों को लगातार ट्रोल करते रहते हैं। साध्वी के अनुसार आमिर खान के असहिष्णुता वाले बयान पर उन लोगों से ट्रोल करने को कहा गया था ताकि स्नैपडील अपना ब्रांड अम्बेस्डर चेंज कर दे।
ट्रोल चाहे जैसे भी हो आज यह एक लाइलाज मर्ज़ हो गया है। जिस तरह से आज ट्रोल का चलन है कोई भी खबर विश्वसनीय नहीं रह गयी है। फेक न्यूज़ के ज़माने में कब किसका चरित्र हनन हो जाये कोई नहीं जानता। चाहे वह गुरमेहर हो या भी दंगल फेम जायरा वसीम हो, कभी अनुष्का की पारी आती है तो कभी प्रियंका चोपड़ा की। सब ट्रोल की कभी न कभी शिकार हो चुकी हैं। इन्हें भद्दी भद्दी गालियां दी गयी जान से मारने की धमकी दी गयी और तो और रेप की धमकी भी दी गयीं। नरेंद्र मोदी को उनके 15 लाख वाले बयान हों या पकौड़े वाले बयान, काफी ट्रोल किये गए। राहुल गाँधी तो हमेशा ट्रोल के निशाने पर रहते है हैं।
ट्रोलिंग का यह घिनौना और भयानक ट्रेंड दिन प्रति दिन बढ़ता ही चला जा रहा है। इसे एक तरह से साइबर हमला भी कह सकते हैं। इसी वजह से सोशल मीडिया अब महिलाओं के लिए काफी असुरक्षित और धमकी भरा प्लेटफार्म बनता जा रहा है। यही सब देखते हुए सरकार इसके लिए एक एप्प लांच करने की सोच रही है "I am Trolled" नाम से इस एप्प से ट्रोल की शिकार महिलाएं मदद ले सकेंगी।
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