युवाओं के जीवन में करियर और रोजगार का क्या महत्त्व होता है यह कोई पूछने वाली बात नहीं। यह उनके भावी जीवन की रूपरेखा तय करता है। यही कारण है कि युवा बड़ी ही गंभीरता से अपने करियर पर मेहनत करते हैं। आज के दौर में करियर का मतलब केवल सरकारी नौकरी नहीं रह गया है। बहुत सारे युवावो ने अपने टैलेंट की बदौलत कई अन्य क्षेत्रों में धन और शोहरत दोनों की ऊंचाइयों को छुआ है। यह निर्विवाद रूप से सत्य है कि नौकरी या बिजिनेस दोनों के लिए पढ़ाई अत्यंत ही जरुरी है। अतः आप कोई भी काम करना चाहते हों आप उस क्षेत्र की पढ़ाई या ट्रेनिंग अवश्य करें। यदि आपमें कुछ अलग करने का जज़्बा है यदि आप रोजगार लेने के बजाय रोजगार देने का शौक रखते हैं यदि आप बहुत पैसा कमाना चाहते है तो आपको बिजिनेस के बारे में सोचना चाहिए। अब आपको कौन सा व्यवसाय करना है यह आप अपनी रुचि, अवसर और क्षमता के हिसाब से तय कर सकते है। एक बात और किसी भी बिजिनेस के लिए आईडिया का बहुत महत्त्व है। आपका आईडिया आपके बिजिनेस को स्थापित करने में काफी मददगार होता है। आईये देखते हैं तीन युवावों की सक्सेस स्टोरी जिन्होंने अपने यूनिक आईडिया, जोश और लगन की बदौलत न केवल अपना बल्कि समाज के अन्य लोगों को भी जीवन बदल दिया।
रमेश अपनी पढ़ाई ख़त्म करने के उपरांत कुछ ऐसा ही करने को सोच रहा था। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसके पास पैसे भी बहुत नहीं थे। उसने देखा उसके गांव के लोग धान और गेहू की खेती करके अपनी जीविका चला रहे हैं और किसी तरह से अपना जीवन यापन कर रहे हैं। उसी में कभी बाढ़ तो कभी सूखा उनको तबाह कर देता है। रमेश लखनऊ गया और जड़ी बूटी की खेती और उसके विपणन की ट्रेनिंग किया। फिर गांव आकर लोगों को जड़ी बूटी की खेती की ट्रेनिंग दिया। गांव वाले अपनी थोड़ी जमींन पर मेंथा की खेती आरंभ कर दिए। इस बीच रमेश कुछ पैसे जुटा कर मेंथा के तेल निकालने का डिस्टिलेशन प्लांट जो कि बहुत ही कम खर्च में बन जाती है लगवा लिया। इस डिस्टिलेशन प्लांट से वह मेंथा का तेल निकाल कर लखनऊ में बेचने लगा। गांव वालों को जब अच्छी कीमत मिलने लगी तो उत्साहित होकर वे अगले साल से बड़े पैमाने पर इसकी खेती करने लगे और इस प्रकार रमेश की भी आय बढ़ने लगी। अब आस पास के कई गावो में इसकी खेती होने लगी और रमेश को कई डिस्टिलेशन प्लांट लगवाने पड़े। अब वह मेंथा का तेल डायरेक्ट आयुर्वेदिक कंपनियों को बेचने लगा जिससे उसकी आय में अच्छी खासी वृद्धि हो गयी। धीरे धीरे उसने लोगों को कई और भी जड़ी बूटियों की खेती के लिए प्रशिक्षित किया और उससे होने वाले लाभों को बताया। अब परिणाम यह हुआ कि उसके पास सालों भर भरपूर काम रहता है। हमेशा किसी न किसी जड़ी बूटी की फसल तैयार मिलती है जिसका विपणन करके वह न केवल खुद तरक्की कर रहा है बल्कि किसानों को भी काफी लाभ पंहुचा रहा है।
रश्मि की शादी एक अत्यंत ही साधारण परिवार में हुई थी। घर का खर्च बड़ी मुश्किल से चल पाता था। उसकी हमेशा से इच्छा थी कि वह भी अपने परिवार का आर्थिक रूप से सपोर्ट करे। उसने अपने पति और ससुर से इस बारे में बात की। पहले तो वे नहीं माने पर बाद में समझाने पर मान गए। अब रश्मि के सामने प्रश्न था कि वह कौन सा बिजिनेस करे। चूकि परिवार की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं थी अतः उसके सामने पूंजी की समस्या थी। रश्मि अपने मायके में बहुत सारे कोर्स कर चुकी थी किन्तु बिउटीशियन या सिलाई कटाई में उसे वहां बहुत सारा स्कोप नज़र नहीं आ रहा था। उसने मार्किट सर्वे किया। काफी अध्ययन करने के पश्चात् उसे महसूस हुआ कि उसके एरिया में बहुत सारे बैंक और अन्य ऑफिसेस खुले हुए हैं किन्तु खाने पीने की कोई उचित व्यवस्था नहीं थी। कोई ढंग का होटल नहीं था। तभी उसने निश्चय किया टिफ़िन सप्लाई करने का। शुरू शुरू में तो वह केवल पांच टिफ़िन की व्यवस्था कर पायी। और बैंक तथा अन्य ऑफिस में जाकर अपने टिफ़िन व्यावसाय की जानकारी देने लगी। अच्छा, स्वादिष्ट और घर जैसा खाना मिलने से उसे आर्डर मिलने लगे। धीरे धीरे वह अपना व्यवसाय बढ़ाने लगी। पांच टिफ़िन से बढ़ते बढ़ते पचास टिफ़िन सप्लाई का उसका व्यवसाय होने लगा। व्यवसाय बढ़ने से उसने खाना बनाने के लिए दो मेड भी रख लिया और दो डिलीवरी बॉय भी। उसने खूब मेहनत की और अपनी क्वालिटी और पंक्चुअलिटी से कभी समझौता नहीं किया। उसने तय कर रखा था कुछ भी हो जाय अपने सिद्धांतो से समझौता नहीं करेगी। धीरे धीरे पूरे शहर में उसके टिफ़िन की सप्लाई होने लेगी। बिजिनेस बढ़ने के साथ साथ उसने अपने स्टाफ की संख्या को भी बढ़ाया। रश्मि टिफ़िन सपलाई करने के इस डिजिटल जमाने में टेक्नोलॉजी का भरपूर फायदा उठाया। रश्मि ने अपने व्यवसाय के प्रचार प्रसार के लिए सोशल मीडिया का भी सहारा लिया। फेसबुक, व्हाट्सप्प आदि के माध्यम से उसने अपने व्यवसाय को जन जन तक पहुंचाया। बिजिनेस के प्रचार प्रसार के साथ साथ रश्मि ने क्वालिटी पर विशेष ध्यान दिया। इसके लिए उसने हर टिफ़िन के साथ एक फीडबैक फॉर्म भी भेजना शुरू कर दिया जिससे कि उसे ग्राहकों की मनःस्थिति समझने में आसानी होने लगी। बाद में उसने अपने व्यवसाय के लिए एक वेबसाइट भी बनवा लिया जिसमे वह ऑनलाइन बुकिंग भी करने लगी। आज स्थिति यह है कि अपने घर से शुरू होने वाले व्यवसाय को वह बड़े पैमाने पर करते हुए पुरे शहर में पांच टिफ़िन पैकिंग सेंटर खोल ली जहाँ पर टिफ़िन बनता, पैक होता और वहीँ से डिलीवर किया जाता है। इससे कस्टमरों को ज्यादा वेट नहीं करना पड़ता और खाना भी गर्म गर्म मिलता। आज रश्मि ने न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ किया है बल्कि उसने कई अन्य लोगों को रोजगार मुहैया कराया है।
आज के भाग दौड़ की जिंदगी में लोग इतने व्यस्त हो गये हैं कि पड़ोसियों को भी नहीं पहचान पा रहे हैं। स्थिति यह हो गयी है कि कभी किसी चीज़ की आवश्यकता पड़ जाये तो उनके समझ में ही नहीं आता कि यह काम कैसे होगा और इसके लिए किससे संपर्क करें। किसी को मकान किराये पर देना है तो कोई मकान ढूढ़ रहा है कोई अपनी गाड़ी बेचना चाहता है कोई खरीदना चाहता है। किसी को बाहर जाना है और अपने कुत्ते या बूढ़े माँ बाप
की देखभाल के लिए कोई चाहिए तो कोई अपना मकान रंगवाने के लिए मजदूर खोज रहा है। बहुत सारी आवश्यकताएं हैं जिसके लिए समझ नहीं आता तुरंत कहाँ से व्यवस्था करें। राम नरेश को काम की आवश्यकता थी और ज्यादा पढ़ा लिखा न होने के कारण नौकरी की भी उम्मीद नहीं थी। उसके पास बिजिनेस करने के लिए पूँजी भी नहीं थी लेकिन सामजिक संपर्क उसका बहुत अच्छा था। अपने काम के लिए वह काफी परेशान था। एक दिन उसके एक मित्र ने उसे बताया क्यों न तुम सर्विस प्रोवाइडर का काम शुरू कर लेते। राम नरेश ने बताया उसके पास पैसे नहीं है कोई व्यवसाय करने के लिए। तब मित्र ने कहा तुम्हे कोई पैसा नहीं लगाना है तुम्हारा मोबाइल ही काफी है। बस तुम लोगों की समस्यायों को सॉल्व करो और उसके बदले में लोग तुम्हे पैसे देंगे। राम नरेश ने अपने घर से ही सर्विस प्रोवाइडर का काम शुरू कर दिया। शुरू शुरू में तो उसे काफी मेह्नत करनी पड़ी। फेसबुक और व्हाट्सप्प के माध्यम से उसने अपने सर्विस के बारे में प्रचार करना शुरू कर दिया। इसके अलावे घर घर जाकर उसने अपने बारे में बताया और अपने नंबर भी बताता गया। धीरे धीरे उसकी मेहनत रंग लायी। लोग उस पर भरोसा करने लगे और उससे अपनी समस्याओं को डिसकस करने लगे। उसे काम दिलाने के एवज में कमीशन भी मिलने लगा। इस तरह से वह दोनों तरफ से आय करने लगा। आज स्थिति यह हो गयी है कि उसे अपना काम सुचारु रूप से चलाने के लिए तीन तीन लड़के रखने पड़े। किसी को प्लम्बर चाहिए , किसी को अपना कबाड़ा बेचना है किसी को ट्युशन के लिए अच्छे टीचर चाहिए तो किसी को बाइक बेचनी या खरीदनी है सबका इलाज है उसके पास। अनगिनत समस्याएं हैं लोगों के पास पर सबके पास टाइम नहीं है और यही इस बिजिनेस का मुख्य आधार है।
ऊपर के उदाहरणों में हम देखते हैं कि यदि आपके पास परिस्थितयों को समझने की क्षमता है और उसके अनुरूप कोई आईडिया रखते हैं तो बिना पैसे के या बहुत ही कम पूँजी में भी आप एक सफल व्यवसायी बन सकते हैं और न केवल आप अपनी रोजगार की समस्या को दूर करेंगे बल्कि कई अन्य लोगों को भी रोजगार प्रदान कर सकते हैं। जीवन में बहुत सारी समस्याएं हैं और जहाँ समस्या है वहां कोई न कोई रोजगार या बिजिनेस है। यह एक बात दिमाग में रखिये रास्ते अपने आप खुलते जायेंगे।
रमेश अपनी पढ़ाई ख़त्म करने के उपरांत कुछ ऐसा ही करने को सोच रहा था। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसके पास पैसे भी बहुत नहीं थे। उसने देखा उसके गांव के लोग धान और गेहू की खेती करके अपनी जीविका चला रहे हैं और किसी तरह से अपना जीवन यापन कर रहे हैं। उसी में कभी बाढ़ तो कभी सूखा उनको तबाह कर देता है। रमेश लखनऊ गया और जड़ी बूटी की खेती और उसके विपणन की ट्रेनिंग किया। फिर गांव आकर लोगों को जड़ी बूटी की खेती की ट्रेनिंग दिया। गांव वाले अपनी थोड़ी जमींन पर मेंथा की खेती आरंभ कर दिए। इस बीच रमेश कुछ पैसे जुटा कर मेंथा के तेल निकालने का डिस्टिलेशन प्लांट जो कि बहुत ही कम खर्च में बन जाती है लगवा लिया। इस डिस्टिलेशन प्लांट से वह मेंथा का तेल निकाल कर लखनऊ में बेचने लगा। गांव वालों को जब अच्छी कीमत मिलने लगी तो उत्साहित होकर वे अगले साल से बड़े पैमाने पर इसकी खेती करने लगे और इस प्रकार रमेश की भी आय बढ़ने लगी। अब आस पास के कई गावो में इसकी खेती होने लगी और रमेश को कई डिस्टिलेशन प्लांट लगवाने पड़े। अब वह मेंथा का तेल डायरेक्ट आयुर्वेदिक कंपनियों को बेचने लगा जिससे उसकी आय में अच्छी खासी वृद्धि हो गयी। धीरे धीरे उसने लोगों को कई और भी जड़ी बूटियों की खेती के लिए प्रशिक्षित किया और उससे होने वाले लाभों को बताया। अब परिणाम यह हुआ कि उसके पास सालों भर भरपूर काम रहता है। हमेशा किसी न किसी जड़ी बूटी की फसल तैयार मिलती है जिसका विपणन करके वह न केवल खुद तरक्की कर रहा है बल्कि किसानों को भी काफी लाभ पंहुचा रहा है।
रश्मि की शादी एक अत्यंत ही साधारण परिवार में हुई थी। घर का खर्च बड़ी मुश्किल से चल पाता था। उसकी हमेशा से इच्छा थी कि वह भी अपने परिवार का आर्थिक रूप से सपोर्ट करे। उसने अपने पति और ससुर से इस बारे में बात की। पहले तो वे नहीं माने पर बाद में समझाने पर मान गए। अब रश्मि के सामने प्रश्न था कि वह कौन सा बिजिनेस करे। चूकि परिवार की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं थी अतः उसके सामने पूंजी की समस्या थी। रश्मि अपने मायके में बहुत सारे कोर्स कर चुकी थी किन्तु बिउटीशियन या सिलाई कटाई में उसे वहां बहुत सारा स्कोप नज़र नहीं आ रहा था। उसने मार्किट सर्वे किया। काफी अध्ययन करने के पश्चात् उसे महसूस हुआ कि उसके एरिया में बहुत सारे बैंक और अन्य ऑफिसेस खुले हुए हैं किन्तु खाने पीने की कोई उचित व्यवस्था नहीं थी। कोई ढंग का होटल नहीं था। तभी उसने निश्चय किया टिफ़िन सप्लाई करने का। शुरू शुरू में तो वह केवल पांच टिफ़िन की व्यवस्था कर पायी। और बैंक तथा अन्य ऑफिस में जाकर अपने टिफ़िन व्यावसाय की जानकारी देने लगी। अच्छा, स्वादिष्ट और घर जैसा खाना मिलने से उसे आर्डर मिलने लगे। धीरे धीरे वह अपना व्यवसाय बढ़ाने लगी। पांच टिफ़िन से बढ़ते बढ़ते पचास टिफ़िन सप्लाई का उसका व्यवसाय होने लगा। व्यवसाय बढ़ने से उसने खाना बनाने के लिए दो मेड भी रख लिया और दो डिलीवरी बॉय भी। उसने खूब मेहनत की और अपनी क्वालिटी और पंक्चुअलिटी से कभी समझौता नहीं किया। उसने तय कर रखा था कुछ भी हो जाय अपने सिद्धांतो से समझौता नहीं करेगी। धीरे धीरे पूरे शहर में उसके टिफ़िन की सप्लाई होने लेगी। बिजिनेस बढ़ने के साथ साथ उसने अपने स्टाफ की संख्या को भी बढ़ाया। रश्मि टिफ़िन सपलाई करने के इस डिजिटल जमाने में टेक्नोलॉजी का भरपूर फायदा उठाया। रश्मि ने अपने व्यवसाय के प्रचार प्रसार के लिए सोशल मीडिया का भी सहारा लिया। फेसबुक, व्हाट्सप्प आदि के माध्यम से उसने अपने व्यवसाय को जन जन तक पहुंचाया। बिजिनेस के प्रचार प्रसार के साथ साथ रश्मि ने क्वालिटी पर विशेष ध्यान दिया। इसके लिए उसने हर टिफ़िन के साथ एक फीडबैक फॉर्म भी भेजना शुरू कर दिया जिससे कि उसे ग्राहकों की मनःस्थिति समझने में आसानी होने लगी। बाद में उसने अपने व्यवसाय के लिए एक वेबसाइट भी बनवा लिया जिसमे वह ऑनलाइन बुकिंग भी करने लगी। आज स्थिति यह है कि अपने घर से शुरू होने वाले व्यवसाय को वह बड़े पैमाने पर करते हुए पुरे शहर में पांच टिफ़िन पैकिंग सेंटर खोल ली जहाँ पर टिफ़िन बनता, पैक होता और वहीँ से डिलीवर किया जाता है। इससे कस्टमरों को ज्यादा वेट नहीं करना पड़ता और खाना भी गर्म गर्म मिलता। आज रश्मि ने न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ किया है बल्कि उसने कई अन्य लोगों को रोजगार मुहैया कराया है।
आज के भाग दौड़ की जिंदगी में लोग इतने व्यस्त हो गये हैं कि पड़ोसियों को भी नहीं पहचान पा रहे हैं। स्थिति यह हो गयी है कि कभी किसी चीज़ की आवश्यकता पड़ जाये तो उनके समझ में ही नहीं आता कि यह काम कैसे होगा और इसके लिए किससे संपर्क करें। किसी को मकान किराये पर देना है तो कोई मकान ढूढ़ रहा है कोई अपनी गाड़ी बेचना चाहता है कोई खरीदना चाहता है। किसी को बाहर जाना है और अपने कुत्ते या बूढ़े माँ बाप
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ऊपर के उदाहरणों में हम देखते हैं कि यदि आपके पास परिस्थितयों को समझने की क्षमता है और उसके अनुरूप कोई आईडिया रखते हैं तो बिना पैसे के या बहुत ही कम पूँजी में भी आप एक सफल व्यवसायी बन सकते हैं और न केवल आप अपनी रोजगार की समस्या को दूर करेंगे बल्कि कई अन्य लोगों को भी रोजगार प्रदान कर सकते हैं। जीवन में बहुत सारी समस्याएं हैं और जहाँ समस्या है वहां कोई न कोई रोजगार या बिजिनेस है। यह एक बात दिमाग में रखिये रास्ते अपने आप खुलते जायेंगे।
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