China Dwara Nirmanadhin Artificial Ya Fake Moon Kya Hai Hindi Me Jankari

चाँद को जल्द ही आसमान में अपना एक साथी मिलने जा रहा है। जी हाँ चीन के वैज्ञानिक इस दिशा में बड़ी तेजी से काम कर रहे हैं। चीन के वैज्ञानिक 2020 तक आकाश में एक दूसरा चाँद लाने की तैयारी में जी जान से लगे हुए हैं।
चीन के वैज्ञानिक पावर की समस्या से निबटने के लिए इस दिशा में काम कर रहे हैं। इसके लिए वे एक अर्टिफिशियल  चाँद बना रहे हैं। हालाँकि चीन में पावर कोई समस्या नहीं है फिर भी वे अपने पावर पर होने वाले खर्चे को कम करने के लिए इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं।

क्या है फेक या अर्टिफिशियल चाँद 

अर्टिफिशियल चाँद मानव निर्मित एक उपग्रह होगा जो अंतरिक्ष में एक स्थान से सूर्य प्रकाशको  पृथ्वी के किसी निश्चित भाग पर परावर्तित करेगा। इसकी वजह से वहां रात में स्ट्रीट लाइट नहीं जलानी पड़ेगी और इस वजह से बिजली के खर्चे में बड़ी कमी आएगी।
चीन में वैज्ञानिक इस दिशा में अग्रसर हैं और इसके लिए उन्होंने दक्षिण पश्चिम राज्य सिचुआन की राजधानी चेंगडु को चुना। यह चाँद 2020 तक अंतरिक्ष में भेजने की योजना है।इस चाँद को सिचांग सैटेलाइट लांच सेंटर सिचुआन से प्रक्षेपित किया जायेगा।  यह सूर्य के प्रकाश को अपने परावर्तक सतह द्वारा पृथ्वी पर परावर्तित कर देगा जिससे कि चेंगदू की गलियां रोशन हो सकेंगी।

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इस फेक या अर्टिफिशियल चाँद में क्या खूबियां होंगी 

यह चाँद एक दर्पण की तरह काम करेगा जो सूर्य के प्रकाश को एक निश्चित क्षेत्र में परावर्तित करेगा।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस चाँद द्वारा परावर्तित प्रकाश प्राकृतिक चाँद के प्रकाश के मुकाबले करीब आठ गुना ज्यादा चमकीला होगा। हालाँकि न्यू एरिया साइंस सोसाइटी के चीफ वू चुन्फुंग के अनुसार यह सामान्य स्ट्रीट लाइट के मुकाबले उसका पांचवा हिस्सा ही होगा। फिर भी यह प्रोजेक्ट कामयाब होने की स्थिति में करीब 173 मिलियन अमेरिकी डॉलर बिजली की सालाना बचत करेगा। उन्होंने यह भी बताया कि यदि यह प्रोजेक्ट कामयाब रहा तो 2022 में तीन और चाँद भेजने की योजना है। यह चाँद चेंगदू शहर के 10  से 80  किलोमीटर  तक के चौड़े इलाके को रौशन करेगा। इस  चाँद की कक्षा पृथ्वी से करीब 500 किलोमीटर दूर होगी जबकि वास्तविक चाँद की दुरी पृथ्वी से करीब 380000 किलोमीटर है। इस चाँद की वजह से प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़ और भूकंप आदि में ब्लैकआउट जैसी समस्या नहीं रहेगी और भरपूर रौशनी की वजह से रात के समय भी सहायता पहुंचाई जा सकेगी। इसके अलावा सबसे बड़ी बात यह है कि इसे पृथ्वी से नियंत्रित किया जा सकता है यानि इसके प्रकाश को कम या ज्यादा किया जा सकता है इसे स्विच ऑफ किया जा सकता है।  पीपुल्स डेली समाचार के अनुसार यह लगातार 15 वर्षों तक काम कर सकेगा।
United States Atlantic Coast Night Evening

इस फेक चाँद को अंतरिक्ष में स्थापित करने के लिए तथा सुचारु रूप से काम करने में कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है 


  • किसी भी उपग्रह जो पृथ्वी पर हमेशा एक ही जगह दिखे इसके लिए उसे भूगर्भीय कक्षा में होना चाहिए और यह दुरी पृथ्वी से कम से कम 37000 किलोमीटर पर है जहाँ अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित होते हैं।  
  • पृथ्वी पर एक जगह फोकस करने के लिए सैटेलाइट पॉइंटिंग दिशा बेहद सटीक होनी चाहिए। इतनी दूरी पर स्थापित होने पर यदि 10 किलोमीटर की त्रुटि के साथ प्रकाश देने में एक डिग्री के सौेंवें स्थान से भी चूक हो जाये तो प्रकाश पास के किसी अन्य स्थान पर इंगित हो जाता है। 
  • इतनी दूरी से प्रकाश परावर्तन के लिए दर्पण को बहुत ही विशाल बनाना होगा। 
पर्यावरण और जीव जंतुओं पर इस चाँद का प्रभाव 

इस नए चाँद को लेकर बहुत से लोगों में मन में सवाल और संशय भी उत्पन्न हो रहे हैं। कईयों का मानना है कि इससे रात्रिचर जानवरों के व्यवहार में परिवर्तन आ सकता है जिसका प्रभाव अन्य जीवों के साथ साथ मानवों पर भी पड़ सकता है। वहीँ कई दूसरे लोगों ने आशंका जताई है कि चीन जो पहले से हीं प्रकाश प्रदुषण से त्रस्त है वहां पर ऐसा प्रयोग न केवल इसमें बढ़ावा देगा बल्कि अंततः नुकसानदायक भी साबित होगा।  पब्लिक पालिसी के निदेशक जॉन बारेंटाइन  ने इंटरनेशनल डार्क स्काई एसोसिएशन के न्यूज़ आउटलेट फोर्बेस में अपनी बात रखते हुए कहा कि चेंगदू के निवासियों के लिए यह एक बड़ी समस्या खड़ी करेगा और वे प्राकृतक अंधकार से वंचित रह जायेंगे। डॉ केरिटी ने बीबीसी को बताया कि यदि प्रकाश की मात्रा अधिक होगी तो यह जीवनचक्र को प्रभावित करेगी और तहस नहस कर देगी। 
कांग वेइमिन जो हार्बिन  इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के निदेशक हैं उन्होंने पीपुल्स डेली में सारी आशंकाओं के मद्देनज़र बताया कि इस उपग्रह से शाम के धुंधलके जैसी रौशनी रहेगी और इसका जीवों की सामान्य दिनचर्या पर कोई  प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।
वू चुन्फुंग ने भी सारी आशंकाओं को दूर करते हुए कहा कि हम अपने परिक्षण एक ऐसे रेगिस्तानी इलाके में कर रहें हैं जहाँ आबादी बहुत ही कम है साथ ही इसकी रौशनी इतनी ज्यादा नहीं रहेगी जो यह किसी मनुष्य या पृथ्वी पर स्थित किसी वेधशालाओं को प्रभावित करे। 
क्या अंतरिक्ष में इस तरह का यह पहला प्रयास है

विगत वर्षों में इस तरह के प्रयास पहले भी हुए हैं। 1993 में रूस ने 20 मीटर चौड़े रिफ्लेक्टर के माध्यम से इसी तरह का प्रयास किया था यह उपग्रह मीर  200 से 420 किलोमीटर की दुरी पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा था। znamya 2 ने 5 किलोमीटर के क्षेत्र में यूरोप में प्रकाश परावर्तित  भी किया था और यह 8 KM/hour की रफ़्तार से आगे बढ़ रहा था। हालाँकि यह उपग्रह अंतरिक्ष में ही जल गया था। रूस ने यह मिशन अपने उत्तरी क्षेत्र के शहरों को रौशन करने के लिए किया था जो प्रायः धुप से वंचित रह जाते हैं। बाद में रूस ने एक और उपग्रह के माध्यम से इस तरह का प्रयोग किया था पर यह असफल हो गया क्योंकि इसके रिफ्लेक्टर अंतरिक्ष में खुल नहीं पाए और यह वहीँ जल गया।
अमेरिका भी इस ओर अपने प्रयास कर चूका है उसने अपने राकेट से एक कृत्रिम स्टार को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया।

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4 टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
aesa krnese jiw jantuo ki dinchriya me badlaw hoga
अखिर कहाँ गये वो प्रकृति के सफाईकर्मि गिद्द दोस्तो आज की पोस्ट प्रकृति के सफाईकर्मी गिद्दो के नाम प्रकृति के सभी जीव-जन्तु अपना-अपना कृतव्य निभाते है तथा एक दुसरे पर निर्भर रहकर प्रकृति का संतुलन बनाये रखते हैं, यदि एक भी जीव अपना कृतव्य भूल जाये तो प्रकृति का संतुलन बिगङ जाता हैं। https://chuwaexpress.blogspot.com/2018/10/blog-post_23.html?m=1
Unknown ने कहा…
aesa krnese jiw jantuo ki dinchriya me badlaw hoga
अखिर कहाँ गये वो प्रकृति के सफाईकर्मि गिद्द दोस्तो आज की पोस्ट प्रकृति के सफाईकर्मी गिद्दो के नाम प्रकृति के सभी जीव-जन्तु अपना-अपना कृतव्य निभाते है तथा एक दुसरे पर निर्भर रहकर प्रकृति का संतुलन बनाये रखते हैं, यदि एक भी जीव अपना कृतव्य भूल जाये तो प्रकृति का संतुलन बिगङ जाता हैं। https://chuwaexpress.blogspot.com/2018/10/blog-post_23.html?m=1
Rojgar Bharat ने कहा…
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