थायरॉइड आज की तारीख में एक आम समस्या बनती जा रही है। लगभग हर परिवार में कोई न कोई इस समस्या से पीड़ित मिल जायेगा। यह सामान्य से लेकर कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। हमारा खानपान, बिजी शिड्यूल, तनाव और हमारी जीवन शैली इस समस्या की वजह हो सकते है।
थायरॉइड क्या होता है ?
थायरॉइड वास्तव में किसी बीमारी का नाम नहीं है। यह मानव शरीर के अंदर एक एंडोक्राइन ग्लैंड का नाम है। यह ग्लैंड गले के भीतर स्वर यंत्र के दोनों तरफ तितली के आकार में होती है। यह श्वास नली के ऊपर स्थित होती है। थाइरॉइड ग्रंथि का मुख्य कार्य शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करना होता है। इसके लिए यह थाइरॉक्सिन नामक हॉर्मोन बनाती है। यह हार्मोन शरीर के सभी मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है जिसमे ऊर्जा उत्पादन में मदद करना, प्रोटीन उत्पादन आदि सम्मिलित है।
थायरॉइड रोग क्या है ?
यहाँ तक तो सब ठीक है किन्तु स्थिति तब बुरी हो जाती है जब यह ग्रंथि सही तरह से अपना काम नहीं कर पाती है। कभी कभी यह थाइरॉक्सिन हॉर्मोन का उत्सर्जन अधिक मात्रा में करने लगती है तो कभी जरुरत से काफी कम। दोनों स्थितियां हमारे शरीर को प्रभावित करती हैं और हमारे शरीर में कई तरह के लक्षण दिखने लगते हैं। आम बोलचाल की भाषा में इसे ही थाइरॉइड होना कहते हैं। हारमोन के उत्पादन के आधार पर यह दो प्रकार का होता है
थायरॉइड कितने प्रकार का होता है ?
थायरॉइड दो प्रकार का होता है
Hyperthyroidism : यह स्थिति तब आती है जब थाइरोइड ग्लैंड जरुरत से ज्यादा हारमोन उत्पन्न करने लगता है।
Hypothyroidism : इस तरह की स्थिति में थाइरॉक्सिन का उत्पादन आवश्यकता से कम होता है।
दोनों ही स्थितियां मरीज के स्वस्थ्य पर प्रभाव डालती है। रोगी कमजोरी, थकान से लेकर कई अन्य परेशानियों को झेलने लगता है। कभी कभी तो स्थिति गंभीर हो जाती है और यह घातक साबित होता है।
Hyperthyroidism के लक्षण
ज्यादातर केस में मरीज की थाइरोइड ग्रंथि बड़ी हो जाती है और गले में एक बड़ी गांठ या लम्प की तरह दिखाई पड़ता है। इसे सामान्य बोलचाल में घेघा कहते हैं। घेघा के अलावे भी कई लक्षण ह्यपरथीरोइडिस्म के केस में नज़र आते हैं।
- भूख ज्यादा लगना फिर भी वजन घटना
- घबराहट के साथ साथ चिड़चिड़ापन होना
- बार बार मल त्याग करना और ढीली टट्टी होना
- बाल झड़ना
- आँख का बाहर निकलना, आँखों में जलन होना
- दोहरी दृष्टि की समस्या होना
- नींद की दिक्कत होना
- महिलाओं में पीरियड्स की फ्रीक्वेंसी कम होना
- ह्रदय गति का अनियमित होना
- कमजोरी महसूस होना तथा हाथ और पैरों का कांपना
- पसीना आना तथा गर्मी के प्रति संवेदनशील होना
इन लक्षणों के आधार पर यह तय नहीं कर लेना चाहिए कि मुझे थाइरोइड या ह्यपरथोरॉइडिस्म की बीमारी हो चुकी है। फिर भी ये लक्षण दिखने पर अपने डॉक्टर से जरूर मिलना चाहिए और उसके बताये टेस्ट आदि कराना चाहिए।
उचित समय पर इसका इलाज नहीं कराने पर इसमें कई तरह के कॉम्प्लीकेशन्स आ जाते हैं और यह जानलेवा साबित हो जाती है।
Complications caused by Hyperthyroidism
हाइपरथीरोइडिस्म को यदि शुरू में ही नियंत्रित न किया जाय तो स्थिति काफी खतरनाक साबित हो सकती है। इसमें कई तरह के कॉम्प्लीकेशन्स आ सकते हैं जैसे
- ह्रदय गति का अनियमित होना
- हार्ट फ़ैल होना
- गर्भपात होना
- ऑस्ट्रियोपोरोसिस यानि हड्डियों का टूटना
हाइपरथीरोडिज्म के केस में जब सिम्पटम्स काफी तेजी से बिगड़ने लगता है तो ऐसी स्थिति को Thyrotoxic Crisis कहते हैं। यह स्थिति काफी नाजुक होती है अतः इसमें फ़ौरन इलाज़ करना जरुरी होता है।
ऐसी स्थिति में मरीज में निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं
- नाडी की गति अत्यंत तीव्र होना
- अत्यधिक बेचैनी होना
- बुखार होना
- मूर्छित होना
- घबराहट होना
थाइरोइड या हाइपरथीरोइडिज्म के लक्षण दिखने पर डॉक्टर कुछ जांच कराते हैं ताकि यह निश्चित किया जा सके कि ये लक्षण हाइपरथीरोडिज्म के ही हैं। इसका पता निम्न जांचो से लगाया जा सकता है
- Thyroid stimulating hormone TSH रक्त जांच
- थाइरोइड अल्ट्रा साउंड
- थाइरोइड स्कैन
हाइपरथीरोडिज्म कन्फर्म हो जाने पर डॉक्टर मरीज का इलाज़ करते समय कई बातों का मसलन उम्र, वजन, शारीरिक अवस्था तथा अन्य लक्षणों को ध्यान में रखता है।
Hyperthyroidism क्यों होता है
हाइपरथीरोडिज्म के कई कारण हो सकते हैं
- Hyperthyroidism कई कारणों से हो सकता है किन्तु उनमे सबसे मुख्य है Graves disease इस बीमारी में हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम एक एंटी बॉडी बनाता है। इस एंटीबाडी की वजह से थाइरोइड ग्रंथि में थाइरोइड हार्मोन का निर्माण ज्यादा होने लगता है।
- थाइरोइड ग्रंथि में किसी वायरस या किसी अन्य वजह से सूजन का आ जाना।
- कई बार थाइरोइड ग्लैंड में कुछ नोड्यूल उत्पन्न हो जाते हैं जिसकी वजह से थाइरोइड ग्रंथि अधिक मात्रा में थाइरोइड हारमोन उत्पन्न करने लगती है।
- अधिक मात्रा में आयोडीन के सेवन से भी इस रोग के होने की संभावना हो जाती है।
- पिट्यूटरी ग्रंथि जो थाइरोइड ग्रंथि को नियंत्रित करती है उसका सही काम नहीं करना।
Hyperthyroidism के ट्रीटमेंट में मुख्य रूप से ये तीन प्रक्रिया की जाती हैं
- एंटी थाइरोइड ड्रग्स द्वारा -ह्यपरथीरोइडिज्म में मुख्य रूप से थायरोक्सिन का ज्यादा उत्पादन होता है अतः डॉक्टर इसमें ऐसी दवाएं देते हैं जो नए हारमोनों का निर्माण रोकता है। इसके लिए प्रायः propylthiouracil और methimazole आदि दवाओं का प्रयोग होता है।
- शल्य चिकित्सा द्वारा - जब दवाओं से काम नहीं होता है और स्थिति जटिल हो जाती है तब चिकित्सक thyroidectomy करते हैं जिसमे थाइरोइड का कुछ भाग या पूरा भाग निकाला जाता है।
- बीटा ब्लॉकर्स द्वारा - थाइरोइड में जब मरीज की ह्रदय गति बढ़ जाती है तब इस प्रक्रिया को करके उसकी गति को सामान्य किया जाता है।
दोस्तों जैसा कि ऊपर हमने पढ़ा कि जब थाइरोइड ग्रंथि से थाइरॉक्सिन का बनना कम होने लगता है तो उस स्थिति को हाइपोथायरायडिज्म कहा जाता है। थाइरॉक्सिन कम बनने की वजह से हमारे शरीर का सारा मेटाबॉलिज़्म प्रभावित होने लगता है और इसकी वजह से हमारे शरीर के कई अंग सही से काम नहीं कर पाते।
क्यों होता है हाइपोथयरॉडिज्म ?
- कई बार हमारे शरीर में एक ऑटो इम्म्यून डिसऑर्डर होने लगता है जिसे Hashimoto's Thyroids भी कहा जाता है। ऐसी स्थिति में थाइरोइड ग्लैंड सूजने लगती है और फिर धीरे धीरे नष्ट होने लगती है। ऐसी स्थिति में यह थाइरॉक्सिन हारमोन का पर्याप्त मात्रा में स्राव नहीं कर पाती और इसका पुरे शरीर पर प्रभाव पड़ने लगता है।
- भोजन में आयोडीन न होना या कम होना।
- सर्जरी या किसी अन्य वजह से थाइरोइड ग्रंथि का हटना या नष्ट होना।
- रेडियोएक्टिव आयोडीन ट्रीटमेंट लेने पर भी इसके होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
- कैंसर में दी जाने वाली रेडिएशन किरणों का भी इसके नष्ट होने में बड़ा हाथ होता है।
Hypothyroidism के लक्षण
Hyperthyroidism में प्रायः निम्न लक्षण देखे जाते हैं
- पेट साफ़ न होना
- पीरियड्स अनियमित होना
- त्वचा रूखी होना
- बाल झड़ना
- डिप्रेसन होना
- अचानक वजन बढ़ना
- ह्रदय गति का धीमा होना
- घेघा होना
- ठण्ड के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होना
- दिल की बीमारी
- बाँझपन
- मोटापा
- जोड़ों का दर्द
- पेट में पल रहे शिशु का विकास प्रभावित होना
हाइपोथाइरोडिज्म की जांच
हाइपोथाइरोडिज्म की जांच के लिए मरीज के खून की जांच की जाती है। इसके लिए डॉक्टर निम्न जांचो को कराते हैं
- TSH यानि थाइरोइड स्टिमुलेटिंग हॉरमोन जांच
- T4 थाइरॉक्सिन जांच
- थाइरोइड अल्ट्रासाउंड के द्वारा
- थाइरोइड स्कैन
हाइपोथाइरोडिज्म का उपचार
हाइपोथाइरोडिज्म होने की स्थिति में डॉक्टर मरीज के शरीर में T4 हॉरमोन की उपलब्धता बनाये रखने का प्रयास करते हैं। इसके लिए इस हारमोन की गोली लेने के लिए कह सकते हैं। चुकि यह गोली बराबर लेनी पड़ती है अतः समय समय पर थाइरोइड लेवल की जांच करवाना आवश्यक हो जाता है जिससे कि दवा की मात्रा कम या अधिक किया जा सके।
थाइरोइड के घरेलु उपचार
- थाइरोइड में दूध में हल्दी पका कर पीने से काफी लाभ होता है। यदि दूध न हो तो केवल हल्दी भी भून कर खाया जा सकता है।
- इस रोग में लौकी का जूस भी काफी लाभ पहुंचाता है। इसके लिए लौकी क जूस रोज सुबह खाली पेट सेवन करना चाहिए।
- बादाम और अखरोट थाइरोइड में काफी उपयोगी होते हैं। इनमे मौजूद सेलेनियम इस रोग में काफी लाभदायक होता है।
- तुलसी के रस के साथ एलोवेरा का रस मिलकर सेवन करने से इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।
- काली मिर्च थाइरोइड की बीमारी में काफी लाभदायक साबित होती है। इसके सेवन से इस रोग से बचा जा सकता है।
थाइरोइड चूँकि काफी जटिल बीमारी है अतः घरेलु उपचार से रहत न मिले तो बिना देरी किये डॉक्टर से मिलना चाहिए।
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