आलू से सोना बनाने की मशीन: A Motivational Story


आलू से सोना बनाने की मशीन

A Motivational Story

सुनो जी इस बार फसल के अच्छे दाम मिले तो मै अपने लिए झूमके बनवाऊंगी। मंडी जाते समय सूरज की पत्नी ने उससे कहा। सूरज की पत्नी को गहनों का बड़ा शौक था पर पैसों की कमी की वजह से कभी वह अपने शौक को हमेशा पूरा नहीं कर पाती। सूरज उसकी बातों को सुन हामी भरते हुए मंडी निकल पड़ा। 
 दिन भर मंडी में मोल भाव करने के बाद भी उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। वह बहुत निराश था। आज भी उसके आलूओं की कोई खास कीमत नहीं मिली थी। वह उन्हें बिना बेचे  ही वापस आ रहा था। उसे अपना बड़ा नुकसान साफ़ साफ़ दीख रहा था। हालाँकि यह पिछले कई सालों से हो रहा था फिर भी इस बार उसे काफी उम्मीदें थीं। उसने बहुत कुछ सोच कर रखा था। लड़का इलाहबाद में रहता था  उसे खर्चे भेजने थे। सोचा था अच्छे दाम मिलेंगे तो लड़की के नाम से कुछ पैसे बैंक में फिक्स करा दूंगा शादी में काम आएंगे। पत्नी के झुमके भी लेने थे।उसका दिल बैठा जा रहा था।शाम के चार बज गए थे। उसे बड़ी तेज भूख लगी थी। वह एक भूजे वाली दूकान पर गया और दस रुपये का भूजा लेकर खाने लगा। भूजा खाने के बाद भूजा वाले पेपर के दोने को खोल कर वह देखने लगा। वह अख़बार का टुकड़ा था। वह उस कागज़ के टुकड़े को पढ़ने लगा। उस पेपर पर लिखा हुआ था " आलू से सोना बनाने की मशीन, एक तरफ से आलू  घुसेगा तो दूसरी तरफ से सोना निकलेगा " उसे बड़ा आश्चर्य हुआ। उसने उस पेपर के टुकड़े को अपने दोस्तों को दिखाया जो वही बैठ कर भूजा खा रहे थे।  उसके दोस्त और अन्य ग्राहक हंसने लगे। उसके दोस्तों ने कहा क्या यार तुम भी इन नेताओं के बयानों को लेकर बैठ गए। ये नेता पब्लिक को बेवकूफ समझते हैं।  चुनाव जीतने के लिए ये कुछ भी उल्टा पुल्टा बोल देते हैं। सूरज भूजा वाले को पैसे दिए और वापस घर की ओर  चल पड़ा। 

आलू से सोना बनाने की मशीन: A Motivational Story

 घर पहुंच कर सूरज ने अपनी पत्नी को सब हाल सुनाया। पत्नी भी बहुत दुखी हुई। रात में सूरज को बड़ी देर तक नींद नहीं आयी। धीरे धीरे कई रोज़ बीत गए। सूरज अपने खेती के अन्य कामों में लग गया। एक दिन शाम को वह थका मांदा घर आया। घर पर आकर बैठा तो उसकी पत्नी उसके लिए पानी ले कर आयी। तभी उसकी छोटी बेटी दुकान पर से चिप्स खरीद कर लायी और फाड़ कर खाने लगी। उसने अपनी बेटी से कहा बेटा मुझे भी चिप्स खिलाओ। बिटिया ने कहा अरे पापा एक तो खुद ही इतना कम है ऊपर से आप मांगते हो। सूरज ने उसके चिप्स के पैकेट को देखा उसमे मुश्किल से सात या आठ चिप्स होंगे। उसने कहा ठीक है तुम ही खाओ लेकिन यह तो बताओ कितने में ख़रीदा ? बेटी ने कहा पापा पांच रुपये का मिलता है आप पैसे दो आपके लिए भी ला दूँ। सूरज ने कहा न न रहने दो। तुम केवल यह पैकेट दे दो मुझे। सूरज का दिमाग बड़ी तेजी से चल रहा था। वह पैकेट देखा, उसपर छपा प्राइस देखा। उसे बहुत आश्चर्य हुआ। वह उँगलियों पर कुछ गुणा भाग करने लगा। रात भर उसे नींद नहीं आयी। सुबह चार बजे उसकी आँख लगी। अगले दिन वह जब सो कर उठा तो उसके चेहरे पर एक अलग ही चमक थी। वह बाजार से चिप्स काटने वाली कुछ मशीन ले आया और अपने आलुओं के चिप्स काटने लगा। उसकी बीबी और बच्चे भी उसको देखकर चिप्स काटने लगे। दिन भर चिप्स काटना, धोना, उबालना और सुखाना चलता रहा। यह क्रम महीनो चला। इस बीच सूरज ने एक बड़ी कड़ाही ले ली थी और सूखे हुए चिप्स को वह तलने लगा। उसकी बीबी को मसालों की अच्छी समझ थी। वह एक विशेष प्रकार का तीखा, खट्टा, मीठा और नमकीन मसाला तैयार करके तले हुए चिप्स में मिला कर रखती जाती और उसके बच्चे उन्हें छोटी छोटी प्लास्टिक की थैलियों में भरने लगे। धीरे धीरे उन्होंने बहुत सारा पैकेट तैयार कर लिया। इसी बीच सूरज बाजार में कई दुकानों पर बात कर लिया और उन्हें वो पैकेट सप्लाई करने लगा। उसने दिन रात मेहनत की। शहर में घर घर जाकर वह अपने चिप्स को बेचा। वह हर दुकान पर हर स्कूल कॉलेज के गेट पर पहुंचना शुरू कर दिया।

आलू से सोना बनाने की मशीन: A Motivational Story

धीरे धीरे वह कुछ पैसे कमा लिया। उसने उन पैसों को फिर इसी व्यापार में लगा दिया। उसने अच्छी पैकिंग मशीन ले ली। उसने कुछ लड़कों को भी अपने माल को बेचने के लिए रख लिया।  अब उसकी आमदनी बहुत बढ़ गयी थी। उसने अपने कमाए हुए पैसों से  बढ़िया चिप्स काटने वाली आटोमेटिक मशीन खरीद लिया। अब उसका उत्पादन काफी बढ़ गया था। उत्पादन बढ़ा तो वह कई दूसरे शहरों में अपना माल भेजने लगा। अब उसने लोन ले कर एक गाड़ी और थोड़ी जमीन  भी ले ली थी। जमीन पर उसने चिप्स की एक फैक्ट्री डाल ली। गाड़ी से वह ज्यादा ज्यादा माल भिजवाने लगा। अब तक उसके प्रोडक्ट की एक पहचान बन गयी थी बाजार में। वह एक ब्रांड के रूप में स्थापित हो रहा था।  उसने कई कर्मचारी भी बढ़ा लिए थे। वह कई गाड़ियां भी माल ढोने के लिए ले लिया था। धीरे धीरे वह कई अन्य चीज़ों का भी उत्पादन करने लगा। आज उसकी कई फैक्टरियां हो गयी थी। बड़ी बड़ी मशीनों से सारा काम स्वतः ही होता जाता था। अब उसका माल विदेशों में भी जाने लगा था। उसके पास कई गाड़ियां भी हो चुकी थीं। उसने काफी पैसे कमा लिए थे। आज उसकी गिनती शहर के रईशों में होने लगी थी।
एक दिन सूरज अपने बालकनी में बैठ कर चाय पी रहा  तभी उसकी पत्नी आयी। पत्नी ने कहा देखिये जी, मैंने कितना सुन्दर हार लिया है। हार सोने का था और बहुत ही खूबसूरत दीख रहा था। सूरज ने प्रशंसा करते हुए कहा बहुत ही सुन्दर है  लेकिन तुमसे ज्यादा  सुन्दर नहीं। पत्नी इठलाती हुई चली गयी। पत्नी को खुश देखकर सूरज भी  प्रसन्न था। उसे वो दिन याद आ रहे थे जब वह अपने बिजिनेस को शुरू किया था। उसके पास पैसे नहीं थे अपने काम को शुरू करने के लिए तभी उसकी पत्नी ने अपने सारे गहने  उतार कर उसके सामने रख दिए और कहा  आप अपना काम मत रोकिये। जब उसने कहा नहीं नहीं इसे मत दो कहीं ये डूब न जाएँ तो उसकी पत्नी ने मुस्कुरा कर कहा आपके आलू से सोना बनाने वाली मशीन पर मुझे पूरा भरोसा है आप काम शुरू कीजिए। पत्नी की इस बात ने उसके आत्म विश्वास को चट्टान बना दिया और फिर उसके संकल्प और उसकी  मेहनत ने उसे उसकी मंज़िल दिला दी। आज उसकी फैक्ट्रियां सोना उगल रही थी। 

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1 टिप्पणियाँ

Ranjeet singh ने कहा…
अच्छी सीख दी आपने ...