सफ़ेद और सुन्दर दांत न केवल चेहरे की सुंदरता को बढ़ा देते हैं बल्कि ये हमारे अच्छे स्वास्थ्य में भी अपना योगदान देते हैं। ये हमारे भोजन को महीन चबा कर उसे पचने के योग्य बनाते हैं। वास्तव में अच्छे और मजबूत दांत वाला व्यक्ति ही स्वादिष्ट भोजन का आनंद उठा सकता है। यही कारण है हर व्यक्ति चाहता है उसके सुन्दर और मजबूत दांत हों। प्रकृति ने सभी को इस वरदान से नवाजा है किन्तु कई बार उचित देखभाल के बिना या गलत खान पान की आदतों के कारण लोग इन्हें सही से रख नहीं पाते और कई तरह की परेशानियों का सामना करने लगते हैं। दांत की कई परेशानियों में एक सबसे आम परेशानी है दांत का दर्द होना। यह परेशानी अकसर दांतों के सड़ने या उसके अंदर छिद्र होने से होती है। इसे आम भाषा में खोड़ला होना या कैविटी होना कहते हैं।
दांत का सड़ना, कीड़े पड़ना, खोड़ला होना या कैविटी होना क्या है
कई बार हमारी गलत खानपान की आदतों की वजह से हमारे दांतों में छिद्र बनने लगते हैं। ये छिद्र बढ़ते बढ़ते पुरे दांत को खोखला बना देते हैं। इन छिद्रों में कीड़े लग जाते हैं जिसकी वजह से दांत में दर्द होने लगता है। दांत में छिद्र या अंदर से खोखला होने की स्थिति को हीं खोड़ला होना, दांत का सड़ना या कैविटी कहते हैं।
दांतों की सड़न या कैविटी के कारक
दांतों में कैविटी क्यों होती है इसको जानने के लिए हमें पहले दांतों की बनावट को समझना होगा। हमारे दांत की तीन परत होती हैं
क्यों होती है दांतों की कैविटी
दांतों की कैविटी होने में मुख्य रूप से हमारी खानपान की आदतें जिम्मेवार हैं। हम कोई भी भोजन करते हैं तो हमारे दांतों में उसका अंश प्लाक के रूप में चिपका रहता है। यही प्लाक कैविटी, दांतों में कीड़े और दांत दर्द को जन्म देता है। हमारी कुछ आदतें इसके लिए जिम्मेदार होती हैं
दांत के खोड़ले या कैविटी के लक्षण क्या हैं
दांतों में कीड़े लगने या कैविटी होने के कई लक्षण परिलक्षित होने लगते हैं। यदि इन लक्षणों पर शुरू में ही ध्यान दिया जाय तो ज्यादा नुक्सान या दांत खोने से बचा जा सकता है।
इनमे से कोई भी लक्षण महसूस हो या दिखाई दे तो बिना देर किये अपने डेंटिस्ट से संपर्क करना चाहिए।
दांत के खोड़ले या कैविटी का उपचार क्या है
दांत की कैविटी का उपचार चिकित्सक उसकी स्थिति और परीक्षणों के आधार पर तय करता है। कैविटी के उपचार के लिए मुख्य रूप से निम्न विधियां अपनायी जाती हैं।
दांत के खोड़ले, कीड़े पड़ने या कैविटी से बचाव
कहते हैं बीमारी से उसका बचाव बेहतर है। ठीक यही बात दांतों पर भी लागू होती है। यदि हम थोड़ी सावधानी बरते तो हमें दांत के दर्द, दांत के कीड़े और दांत की सड़न का सामना नहीं करना पड़ेगा। यदि हम स्वस्थ और मजबूत दांत चाहते हैं तो कुछ छोटी छोटी बातों का ध्यान रखना होगा।
दांतों में कैविटी क्यों होती है इसको जानने के लिए हमें पहले दांतों की बनावट को समझना होगा। हमारे दांत की तीन परत होती हैं
- इनेमल : यह दांत की सबसे बाहरी परत होती है। यह बहुत ही सख्त होती है और यह दांतों की रक्षा करती है।
- डेंटिन : यह परत इनेमल के अंदर स्थित होती है और यह अपेक्षाकृत नरम होती है।
- पल्प :यह डेंटिन के अंदर वाला भाग होता है जिसमे नसें होती हैं।
क्यों होती है दांतों की कैविटी
दांतों की कैविटी होने में मुख्य रूप से हमारी खानपान की आदतें जिम्मेवार हैं। हम कोई भी भोजन करते हैं तो हमारे दांतों में उसका अंश प्लाक के रूप में चिपका रहता है। यही प्लाक कैविटी, दांतों में कीड़े और दांत दर्द को जन्म देता है। हमारी कुछ आदतें इसके लिए जिम्मेदार होती हैं
- दांतों की सफाई न करना : अक्सर लोग खाने के बाद दांतों को अच्छी तरह से साफ़ नहीं करते और उनमे भोजन के टुकड़े फंसे रह जाते हैं जो बैक्टीरिया और लार के साथ मिल कर दांत के एनैमल को नष्ट करते हैं और कैविटी बनाते हैं।
- बार बार कुछ न कुछ खाते रहना : बार बार खाने की आदत होने की वजह से लोगों के दांतों में कुछ फंसा रह जाता है और यह उनके कैविटी का कारण बनता है।
- भोजन या पेय में फ्लोरिड की कमी होना : फ्लोराइड हमारे दांतों के क्षरण को रोकता है। इसकी वजह से दांतों में कैविटी नहीं बन पाती। भोजन या पेय पदार्थ में इसकी कमी होने से हमारे दांतों को नुकसान होता है।
- मुंह में लार का कम बनना : कई बार हमारे मुंह में किसी बीमारी की वजह से या किसी अन्य वजह से लार कम बनती है। ऐसे स्थिति प्लाक और टार्टार के लिए अनुकूल होती है जिससे कि दांतों में सड़न होने लगती है।
- दांत का स्थान : पीछे के दांतों में यानि मोलर और प्री मोलर दांत अपनी बनावट की वजह से भोजन फंस जाता है साथ ही पीछे होने की वजह से पर्याप्त सफाई भी नहीं हो पाती है अतः इनमे सड़न होने की संभावना ज्यादा होती है।
- शिशुओं के दांतों की कैविटी : शिशुओं को लोग सोते समय दूध या कोई अन्य मीठा पेय पिलाते हैं। उनके दांतों में इसका असर रात भर रहता है और यह उनके दांतों के खोडले होने की वजह बनता है।
- शीतल पेय : शीतल पेय में उपस्थित अम्ल दांतों के एनैमल को नष्ट करता है। इसकी वजह से दांत कमजोर हो जाते हैं और उनमे कैविटी होने की संभावना बढ़ जाती है।
- हार्ट बर्न : हार्ट बर्न की स्थिति में पेट का अम्ल मुंह में पंहुच जाता है और यह दांतों को नुक्सान पंहुचाता है।
- मीठे और चिपकने वाले खाद्य : मीठे और चिपकने वाले खाद्य पदार्थ जैसे टॉफी, चॉकलेट आदि दांतों में चिपक जाते हैं और प्लाक का कारण बनते हैं।
दांत के खोड़ले या कैविटी के लक्षण क्या हैं
दांतों में कीड़े लगने या कैविटी होने के कई लक्षण परिलक्षित होने लगते हैं। यदि इन लक्षणों पर शुरू में ही ध्यान दिया जाय तो ज्यादा नुक्सान या दांत खोने से बचा जा सकता है।
- दांत में दर्द रहना
- दांतों में पानी लगना या झनझनाहट महसूस होना
- दांतों की सतह पर भूरे, पीले या काले दाग दिखना
- दांतों में छिद्र होना
- गरम या ठंडा कुछ भी खाने पर दांत में दर्द शुरू होना।
- भोजन चबाते समय दर्द होना।
इनमे से कोई भी लक्षण महसूस हो या दिखाई दे तो बिना देर किये अपने डेंटिस्ट से संपर्क करना चाहिए।
दांत के खोड़ले या कैविटी का उपचार क्या है
दांत की कैविटी का उपचार चिकित्सक उसकी स्थिति और परीक्षणों के आधार पर तय करता है। कैविटी के उपचार के लिए मुख्य रूप से निम्न विधियां अपनायी जाती हैं।
- फ्लोराइड ट्रीटमेंट : यह ट्रीटमेंट कैविटी की शुरुवात में दी जाती है जब इसका निर्माण अभी शुरू ही हुआ हो। फ्लोराइड दांत के एनैमल को मजबूत करता है जिससे इसका सड़न रुक जाता है।
- फिलिंग : दांत में सुराख हो जाने पर कई बार चिकित्सक इस विधि का प्रयोग करते हैं। इसमें कैविटी की अच्छी तरह से सफाई करने के बाद सुराख में पोर्सिलेन या कॉम्पजिट रेसिन या सिल्वर गोल्ड के एलाय भरते हैं। इस प्रक्रिया को फिलिंग कहते हैं। एकबार फिलिंग करा लेने के बाद कैविटी ख़त्म हो जाती है।
- कैप या क्रॉउन : इस प्रक्रिया में खराब दांत की पहले खूब अच्छी तरह से सफाई की जाती है फिर उसके ऊपर एक कैप जो रेसिन या पोर्सिलेन या एलाय की बनी होती है पहना दिया जाता है।
- RCT : यह तब किया जाता है जब कैविटी दांत की जड़ों तक पंहुच जाती है और नसों को नुक्सान पंहुचाती है। इसका पूरा नाम रुट कैनाल ट्रीटमेंट होता है। इस प्रक्रिया को करने के बाद फिलिंग या कैप लगवाना पड़ता है।
- दांत उखड़वाना : जब कैविटी या कीड़े की वजह से दांत का ज्यादा नुक्सान हो जाता है और फिलिंग या कैप से काम नहीं चलता है तब चिकित्सक उस दांत को उखाड़ने का निर्णय लेते हैं।
दांत के खोड़ले, कीड़े पड़ने या कैविटी से बचाव
कहते हैं बीमारी से उसका बचाव बेहतर है। ठीक यही बात दांतों पर भी लागू होती है। यदि हम थोड़ी सावधानी बरते तो हमें दांत के दर्द, दांत के कीड़े और दांत की सड़न का सामना नहीं करना पड़ेगा। यदि हम स्वस्थ और मजबूत दांत चाहते हैं तो कुछ छोटी छोटी बातों का ध्यान रखना होगा।
- कुछ भी खाने के बाद पानी से कुल्ला जरूर करें
- मीठा, चॉकलेट कैंडी आदि कम खाएं
- शीतल पेय दांतों के लिए काफी नुकसानदायक होता है अतः जहाँ तक हो सके इससे दूर रहें।
- ज्यादा गर्म या ज्यादा ठन्डे खाने या पेय से बचे।
- निम्बू तथा खट्टे फलों का कम प्रयोग करें।
- सुबह तथा रात को अवश्य ही ब्रश करें
- फ्लोराइडयुक्त पेस्ट का प्रयोग करें
- हींग : हींग को पानी में उबाल लें। इस पानी से बराबर कुल्ला करें। यह दांत के कीड़े को नष्ट कर देता है और दांत को स्वास्थ्य रखता है।
- नारियल या सूरजमुखी का तेल : नारियल या सूरजमुखी के तेल को प्रतिदिन सुबह और शाम को थोड़ी मात्रा मुंह में रखें और फिर ब्रश कर लें। ऐसा करने से दांत के कीड़े ख़त्म हो जाएंगे।
- लौंग का तेल : जिस दांत में कैविटी हो वहां लौंग का तेल लगाने से दांत के दर्द में आराम मिलता है और कीड़े भी मर जाते हैं।
- प्याज के बीज : दांत के कीड़े ख़त्म करने के लिए यह एक उत्तम इलाज है। प्याज के बीज रोज चबाने से कीड़े नष्ट हो जाते हैं और फिर नहीं पैदा होते हैं।