किस्मत, कोशिश और ख़ुशी : एक मोटिवेशनल स्टोरी


किस्मत, कोशिश और ख़ुशी : एक मोटिवेशनल स्टोरी 

पापा मै इसबार नहीं मानूंगा, आपको साइकिल दिलानी ही होगी, मोहित ने मचलते हुए पापा से कहा। हाँ हाँ क्यों नहीं, मै जरूर से लाऊंगा तुम्हारे लिए साइकिल पहले तुम फर्स्ट आकर तो दिखलाओ। मोहित के पापा ने चाय पीते हुए कहा। पापा आप देखते रहिये।मोहित ने चैलेंज स्वीकारते हुए कहा। मोहित दसवीं कक्षा में पढता था। उसके बोर्ड के एग्जाम होने वाले थे। मोहित बहुत मेहनत से पढ़ाई कर रहा था।

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धीरे धीरे बोर्ड की परीक्षा भी आ गयी। मोहित ने पूरी तैयारी के साथ परीक्षा दी। और एक दिन वह भी आ गया जिसका उसे बड़ी ही बेसब्री से इंतजार था। आज रिजल्ट निकलने वाला था। मोहित रिजल्ट की प्रतीक्षा में चहलकदमी कर रहा था। आखिर वह समय भी आ गया और नेट पर रिजल्ट की घोषणा हो गयी। मोहित जैसी कि उम्मीद थी प्रथम श्रेणी से पास हुआ था। अब वह दरवाजे पर बैठकर अपने पापा की प्रतीक्षा करने लगा। बार बार वह बाहर झांकता और फिर वापस अपने स्थान पर बैठ जाता। कई बार वह अपने पापा को फोन भी लगा चूका था किन्तु पापा का मोबाइल बंद बता रहा था। धीरे धीरे काफी रात हो गयी। मोहित अब निराश हो रहा था। तभी दरवाजे पर किसी की आवाज सुनाई दी। मोहित दौड़ कर दरवाजे को खोला। दरवाजे पर पुलिस खड़ी थी। मिस्टर आनंद का घर यही है ? मोहित ने कहा, हाँ। उनका एक्सीडेंट हो गया है और वे अब नहीं रहे। मोहित की तो मानो दुनियां ही लूट गयी थी। वह खूब रोया, खूब रोया।
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पापा के नहीं रहने पर घर चलाना बहुत ही मुश्किल हो गया था। मोहित की पढ़ाई छूट गयी। घर का खर्च चलाने के लिए मोहित की माँ बाहर काम करने लगी थी। मोहित एकदम निराश हो गया था। वह दिनभर घर में बैठकर अपनी किस्मत को कोसता रहता था। कभी रोता था तो कभी स्कूल जाते बच्चों को देखता था। कभी एक कोने में गुमशुम सा बैठा रहता था। वह बात बात में मम्मी से झगड़ पड़ता था। मोहित की मम्मी बड़ी ही धैर्यवान थी। उससे मोहित की यह हालत देखी नहीं जा रही थी। उसने कई बार मोहित को समझाया। लेकिन मोहित हर बार यही कहता अपनी तो किस्मत ही फुट गयी है भगवन हमसे रूठ गया है अपना कुछ भी नहीं होने वाला। वह दिनभर घर में ही बैठा रहता। घर की हालत एकदम डांवाडोल हो गयी थी। मोहित की मम्मी चाहती थी मोहित भी कुछ कामधाम करे दो पैसे कमाये। किन्तु मोहित दिन भर घर में पड़ा रहता था। कभी कभी मम्मी की तबियत ख़राब हो जाती थी तो वह काम पर नहीं जा पाती और फिर उस दिन घर पर पैसे नहीं आ पाते। मम्मी मोहित को समझा समझा कर थक चुकी थी।

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एक बार उस गॉव में एक महात्मा जी आये। सारे गांव वाले उनके पास ज्ञान प्राप्त करने और उपदेश सुनने जाते थे। मोहित की माँ भी उनके पास गयी और उन्हें अपनी सारी कहानी सुनाई। उन्होंने मोहित के बारे में भी बताया और उनसे कुछ उपाय पूछा। महात्मा जी ने बड़ी धैर्य से उसकी सारी बातें सुनी और फिर कहा इसके लिए मुझे तुम्हारे घर आना होगा। मै तुम्हारे घर एक रात को भोजन करने आऊंगा। मोहित की माँ तैयार हो गयी। निश्चित दिन महात्मा जी शाम को मोहित के घर आये। मोहित घर पर उदास बैठा हुआ था। वह उन्हें नमस्ते कर चुप चाप एक कोने में बैठ गया। महात्मा जी ने मोहित को अपने पास बैठने को कहा। अब तक रात हो गयी थी और बाहर अँधेरा हो गया था। अचानक लाइट चली गयी और कमरे में भी अँधेरा हो गया। मोहित बोला मै माचिस और मोमबत्ती लेकर आता हूँ। महात्मा जी ने कहा बैठो कंही जाने की जरुरत नहीं है। मोहित बैठ गया। अब महात्मा जी ने बोलना आरम्भ किया मै भी कितना अभागा हूँ मेरे आते ही लाइट चली गयी मेरी किस्मत ही ख़राब है। ऐ अँधेरे तू मेरे साथ ही क्यों रहता है। महात्मा जी बड़बड़ाते रहे। बिजली कटौती के लिए कभी सरकार को कोसते तो कभी अपनी किस्मत को। इस तरह करीब आधा घंटा हो गया। महात्मा जी ने मोहित से कहा लगता है अब अँधेरे में ही खाना खाना पड़ेगा। मोहित को गुस्सा आ रहा था। वह उठा और अँधेरे में ही ढूढ़ते हुए माचिस और मोमबत्ती खोज निकाला। उसने उसे जलाया, पुरे घर में उजाला हो गया। महात्मा जी बड़े खुश हुए। उन्होंने मोहित को धन्यवाद् दिया और बोला बेटा तुमने तो घर में फिर से प्रकाश ला दिया। मोहित बोला आपके रोने धोने से और गुस्सा करने से रौशनी थोड़ी न आएगी, माचिस और मोमबत्ती के लिए हाथ पैर तो चलाना ही पड़ेगा। थोड़ी कोशिश करते तो कब की रौशनी आ गयी होती। 
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महात्मा जी ने मोहित की ओर देखा और बोले बेटे वही तो मै भी तुम्हे समझाना चाह रहा था कि अपनी किस्मत पर रोने से या विपरीत परिस्थितियों पर गुस्सा करने से जीवन में उजाला थोड़े ही न आएगा। हमें हर हाल में अँधेरे को कोसने की बजाए मोमबत्ती और माचिस ढूढ़ने का प्रयास करना चाहिए। तभी हमारा जीवन प्रकाशित होगा और हमारे जीवन में ख़ुशी आएगी। मोहित की समझ में सारी बाते आ रही थीं। उसने महात्मा जी के पैर पकड़ लिए। वह बोला बाबा आपने मेरी आँखे खोल दी। अब मोहित ने अपनी किस्मत पर रोना छोड़ दिया और उसने एक दूकान पर नौकरी कर ली। रात में घर आकर वह अपनी पढाई भी करने लगा। अब उसके घर खुशियों ने फिर खिलखिलाना शुरू कर दिया।

Moral: It is better to light a candle than to curse the darkness

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