ज़हर: एक मोटिवेशनल स्टोरी



निर्मला ये लो सामान, सुरेश ने घर में घुसते ही कहा। निर्मला दौड़ती हुई आयी और सामान लेते हुए कहा तुमसे बोली थी सब्ज़ी भी लाने को नहीं लिए क्या ? अरे बाबा पहले चैन से बैठने तो दो, सुरेश खाट पर बैठते हुए कहा। सब्ज़ी भी लाया हूँ ये लो। निर्मला सामान लेकर अंदर गयी और झट से सुरेश के लिए पानी ले आयी। आज बहुत थक गया हूँ , सुरेश खाट पर लेटते हुए कहा। बच्चे कहाँ हैं ? दोनों अभी खेल कर नहीं लौटे हैं। निर्मला ने चाय देते हुए कहा। निर्मला बैठकर सुरेश के पांव दबाने लगी। सुरेश टीवी देखने लगा।
सुरेश मजदूरी का काम करता था। शहर में काम की कमी नहीं थी। वह मेहनती भी था। अच्छा कमाता था और अच्छे से अपने परिवार का गुजारा करता था। घर में दो बच्चे थे। दोनों पढ़ते थे। वह अपने परिवार को खुश रखने में कोई कमी नहीं रखता था। जो भी कमाता था दिल खोल कर खर्च करता था।
कुल मिला कर उनका परिवार एकदम सुखी था।

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एकदिन सुरेश मजदूरी करके वापस आ रहा था। उसी समय रस्ते में एक जनसभा हो रही थी। एक नेता जी बड़े ही जोश से भाषण दे रहे थे। वे लोगों का आह्वान कर रहे थे हम अन्याय बर्दाश्त नहीं करेंगे। ईंट से ईंट बजा कर रख देंगे। सुरेश को उनका भाषण बहुत अच्छा लग रहा था। नेता जी की बातों में उसे सचाई नज़र आ रही थी। उसे लगा देश को उसकी जरुरत है।
सुरेश घर आया। उसके दिमाग में अभी भी नेता जी की बातें चल रही थीं। तभी उसका बेटा दौड़ता हुआ उसके पास आया। पापा पापा देखो न कबीर मेरे साथ नहीं खेल रहा है। जाने दो तुम उसके साथ मत खेला करो । जाओ दूसरे बच्चों के साथ खेलो।
सुरेश अब अपना ज्यादा समय मोबाइल पर देने लगा। मोबाइल पर व्हाट्सअप, फेसबुक से उसे अपने देश, धर्म और कई अन्य चीज़ों के बारे में काफी जानकारियां मिलने लगी थीं।
अब सुरेश अकसर नेता जी की सभाओं में जाने लगा। कई बार तो काम छोड़ कर भी चला जाता था। उसे लगता देश,कौम और समाज को उसकी जरुरत है। नेताजी के आह्वान पर बंद, धरना प्रदर्शन आदि में भी वह बढ़ चढ़ के हिस्सा लेने लगा। उसके दोस्तों ने कई बार उसे समझने की कोशिश की लेकिन उसे लगता था उसके दोस्त भटके हुए है उन्हें देश और कौम की सेवा से कोई मतलब नहीं है। कभी कभीं तों उसे  लगता था वे सब कौम के प्रति गद्दार और देशद्रोही हैं। उन्हें देश की कोई चिंता ही नहीं है स्वार्थी कहीं के। धीरे धीरे वह उन सबों से दूरियां बढ़ाने लगा। उनलोगों से उसे नफरत होती थी। वह उन सबों से बात भी करना छोड़ दिया था।

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एकदिन वह नेता जी के आह्वान पर भारतबंद में हिस्सा लेने गया था। शहर की सारी गाड़ियां, ट्रेनें, दुकाने आदि बंद थीं। वह सड़क पर चहलकदमी कर रहा था।  तभी उसे दूसरी और से एक ऑटो रिक्शा आता दिखाई दिया। उसे बहुत क्रोध आया। इस स्साले को मालुम नहीं कि आज भारत बंद है रुक अभी बताता हूँ। रुक रुक, कहते हुए वह ऑटो के सामने आ गया। ऑटो वाले ने गाड़ी रोक दी। अरे सलमान तू ?  तुम लोग गद्दार के गद्दार ही रहोगे, कहते हुए उसने ऑटो  का टायर पंचर कर दिया। अरे अरे ये क्या कर दिया तूने। सलमान ऑटो से निकलते हुए बोला, इमरजेंसी केस है अंदर भाभी पैदाइश के दर्द से छटपटा रही है, उनका अस्पताल पंहुचना जरुरी है। सुरेश ऑटो के अंदर झाँका, उसका दिमाग हिल गया अंदर उसकी पत्नी निर्मला प्रसव वेदना से छटपटा रही थी, उसकी साडी खून से लथपथ हो रही थी। सुरेश को तो मानो काटो तो खून नहीं वाली स्थिति हो गयी थी। वह जल्दी जल्दी ऑटो को खींच कर ले जाने लगा। टायर पंचर होने की वजह से ऑटो को खींचना बहुत मुश्किल हो रहा था। किसी तरह वह और सलमान मिलकर निर्मला को एक अस्पताल ले गए। सुरेश भागकर डॉक्टर के कमरे में गया। निर्मला को भर्ती तो ले लिए थे सब किन्तु उसे तुरत ऑपरेशन की आवश्यकता थी। बंदी की वजह से डॉक्टर  आज अस्पताल नहीं आ पाए थे। सुरेश परेशान और हताश होकर गलियारे में चहलकदमी कर रहा था।
उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था क्या करें। जी चाहता था कि अस्पताल में आग लगा दे उसके कर्मचारियों को पीट डालूं ,कोई कुछ कर क्यों नहीं रहा है। तभी उसकी नज़र एक लेडी डॉक्टर पर पड़ी जो किसी तरह बचते बचाते अस्पताल में प्रवेश की। वह सीधे जाकर उसके पैरों पर गिर गया। डॉक्टर साहिब मेरी पत्नी को बचा लीजिए। डॉक्टर ने ऑपरेशन थिएटर में प्रवेश किया। काफी देर बाद वह बाहर निकली। तुम ही इसके पति हो। जी डॉक्टर साहिब। देखो हालत काफी नाज़ुक है बच्चे  का नुकसान हो चूका है। तीन यूनिट ब्लड चाहिए। सुरेश ने नेता जी को फोन किया। अपने राजनितिक साथियों को फोन किया। सबने किसी न किसी बहाने से कन्नी काट ली। सुरेश एकदम निराश हो गया था। तभी सलमान ने कहा तू चिंता मत कर एक यूनिट तू दे दे , एक मै दे दे रहा हूँ बचा एक तो उसके लिए अपने महल्ले का वह धरमु तैयार है उससे मैंने फोन पर बात कर ली है आता ही होगा। सुरेश ग्लानि से गड़ा जा रहा था।

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करीब एक सप्ताह अस्पताल में रहने के बाद निर्मला की छुट्टी हुई। सुरेश निर्मला को लेकर घर आ रहा था। रास्ते में एक जगह नेता जी का की सभा चल रही थी। काफी भीड़ थी। सलमान साइड से अपना ऑटो निकाल रहा था। नेता जी भाषण दे रहे थे, सुरेश ने अपने हाथों से अपने कानों को ढक लिया। वह अब और जहर नहीं पीना चाहता था। उसे समझ आ रहा था कि समाज लोगों से बना है और समाज से देश, अतः लोगों में नफरत फैलाकर देश सेवा नहीं की जा सकती।