एक बार की बात है। एक आदमी अपने लड़के के साथ कहीं जा रहा था। उसके साथ उसका गदहा भी था। उस आदमी ने सोचा मेरा लड़का मुझसे छोटा है अतः उसे गदहे पर बिठा देते हैं। यह सोच कर उसने अपने लडके को गदहे पर बैठा दिया और खुद पैदल चलने लगा। कुछ दूर चलने पर उन्हें एक गॉव मिला। जब गांव के लोगों ने उन्हें देखा तो वे उन पर हॅसने लगे। गॉव वालो ने कहा देखो देखो जवान लड़का खुद गदहे पर जा रहा है और बूढ़े बाप को पैदल ले जा रहा है। यह सुनकर लड़के को बड़ी शर्म आयी। वह नीचे उतर आया और अपने पिताजी को गदहे पर बिठा दिया।
वे दोनों आगे बढ़ने लगे।आगे चलने पर वे फिर एक गांव से होकर गुजरे। वहा काफी सारे लोग खड़े थे। उन्होंने जब उन्हें देखा तो जोर जोर से हसने लगे। उन्होंने कहा देखो कितना बेशर्म इंसान है बच्चे पर दया नहीं आ रही। उसे पैदल लिए जा रहा है और खुद आराम से गदहे पर चल रहा है। इतना सुनते ही उसने अपने लड़के से कहा बेटा तुम भी आओ और इस पर बैठ के चलो। लड़का गदहे की पीठ पर अपने पिता के साथ बैठ गया।अबकी बार वे एक भीड़ भाड़ वाले बाजार से गुजरे। लोगो ने उन्हें फिर टोकना शुरू कर दिया। लोग कहने लगे कैसे निर्दयी इंसान हैं एक कमजोर से गदहे पर दोनों चढ़े हुए हैं उसकी जान ले के छोड़ेंगे। यह सुनकर दोनों बाप बेटे गदहे पर से उतर कर पैदल चलने लगे।अब उनका गांव नजदीक आ गया था। गांव आने पर लोगों ने उन्हें देखा जोर जोर से हस पड़े और कहने लगे देखो कितने मुर्ख इंसान हैं दोनों पास में गदहा रहते हुए भी पैदल चल रहे हैं ।
Moral : कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें लोगों की बातों पर ध्यान न देकर जो सही है वही करना चाहिए।
Moral : कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें लोगों की बातों पर ध्यान न देकर जो सही है वही करना चाहिए।
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