जब भी टीवी चैनलों की बात चलती है तो एक शब्द जो बराबर प्रयोग में आता है वो है टी आर पी। अभी हाल ही में श्री देवी की मृत्यु की घटना को सभी चैनलों ने दिन दिन भर कई कई दिनों तक अलग अलग एंगल से चलाया जिसकी वजह से कई अन्य महत्वपूर्ण घटनाएं जो उस दौरान घटी उसको समाचार चैनलों ने नहीं कवर किया और अपने समाचार में उसको स्थान नहीं दिया। इस वजह से मीडिया की काफी आलोचना भी हुई थी। इसके पीछे कई अन्य कारणों के साथ साथ टी आर पी का भी बहुत बड़ा रोल था। श्री देवी पर न्यूज़ की टी आर पी अन्य समाचारों की टी आर पी से काफी ज्यादा थी और टीवी चैनल्स वाले समाज सेवा के लिए तो बैठे नहीं थे अतः उन्होंने व्यावसायिक बुद्धि लगाई और जिसमे ज्यादा पैसा मिला उसे ही परोस दिया। हालाँकि ऐसा करके वे अपनी नैतिक जिम्मेवारिओं और अपनी काम की जिम्मेदारिओं से धोखा किया है।
आईये जानते हैं यह टी आर पी है क्या चीज़ ?
टी आर पी क्या है What is TRP
टी आर पी टीवी प्रोग्रामों की लोकप्रियता का एक पैमाना है जिससे किसी चैनल या किसी खास प्रोग्राम की लोकप्रियता मापी जाती है। यह टीवी पर विज्ञापनदाताओं को विज्ञापन देने में मदद करता है। इसी के आधार पर वे विज्ञापन के रेट तय करते हैं।
टी आर पी TRP का Full Form क्या है What is the full form of TRP
टी आर पी का फुल फॉर्म होता है Television Rating Points टी आर पी टेलीविज़न viewers की रेटिंग होती है। टेलीविज़न दर्शक कोई प्रोग्राम या कोई खास चैनल कितने देर तक देख रहे हैं एड देख रहे हैं या नहीं , कब से कब तक उस पर्टिकुलर चैनल को देख रहे हैं इन सारी बातों की जानकारी जिससे मिलती है उसे टी आर पी कहते हैं। किसी चैनल की टी आर पी कितनी है और उस चैनल के किसी प्रोग्राम की टी आर पी क्या है इसका उस चैनल की कमाई से गहरा सम्बन्ध है क्योंकि advertisers उसी चैनल या उसी प्रोग्राम पर ज्यादा एड देते हैं और एड के ज्यादा पैसे देते हैं जिसकी टी आर पी ज्यादा हो।
टी आर पी कैसे निकलते हैं How TRP is calculated
टी आर पी निकालने के लिए बड़े बड़े शहरों में कुछ खास एरिया के घरों में टीवी के साथ एक उपकरण लगाया जाता है जिसे people meter कहते है। भारत में INTAM यानि इंडियन टेलीविज़न ऑडियंस मेजरमेंट नामक एजेंसी यह काम करती है। people meter टीवी के साथ जुड़ा होता है और यह उस टीवी पर देखे जाने वाले सारे प्रोग्राम का डाटा रिकॉर्ड करता है जिसे एजेंसी डिकोड करके उस सैंपल से एक व्यापक डाटा तैयार करती है। इसी डाटा का विश्लेषण करके सारे चैनलों और प्रोग्रामों की टी आर पी को निकला जाता है और उस प्रोग्राम की लोकप्रियता का पता लगाया जाता है। आज कल भारत में एक नई तकनीक people meter का भी प्रयोग किया जा रहा है जिसमे मीटर उस टीवी पर चल रहे प्रोग्राम की तश्वीरों के छोटे हिस्से को रिकॉर्ड करके अपनी एजेंसी को भेजता है जहाँ से उसे उस प्रोग्राम की तश्वीरों से मिलान करके उसका डाटा तैयार किया जाता है और फिर टी आर पी तय की जाती है।
टी आर पी से उसी तरह का डाटा जैसे यूट्यूब के विडिओ के एनालिटिक्स होते हैं या ब्लॉग में stats होते हैं जिसमे हर तरह की जानकारी मिल जाती है जैसे किसी प्रोग्राम को कितनी बार देखा गया ,कितने देर तक देखा गया , विज्ञापन देखा गया या नहीं इत्यादि की जानकारी मिलती है ।अतः जिस प्रोग्राम की टी आर पी ज्यादा होती है उसे ज्यादा लोकप्रिय माना जाता है और यह विज्ञापनदाताओं के लिए काफी उपयोगी होता है। वे उसी हिसाब से विज्ञापन का रेट रखते हैं।
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