मुसलमानो के सबसे बड़े त्यौहार की बात की जाय तो वह है ईद। इसे ईद उल फितर और मीठी ईद भी कहते हैं। यह त्यौहार ढेर सारी खुशियां ले कर आता है। क्या बच्चे क्या बूढ़े सब के सब बड़ी ही बेसब्री से इस त्यौहार का इंतज़ार करते हैं। आईये आज जानते हैं कि यह त्यौहार क्यों मनाया जाता है और पहली बार कब मनाया गया था।
पहली बार ईद कब मनाई गयी थी
बहुत सारे विद्वानों का मत है कि ईद की शुरुवात मुहम्मद साहेब ने की थी। जंग ए बद्र में लड़ाई जीतने के बाद मुहम्मद साहेब ने 624 BC में पहली बार ईद मनाया था। तब से हर साल पहली शव्वाल को ईद मनाई जाती है।
ईद क्यों मनाई जाती है
624 BC में जंग ए बद्र को जीतने की ख़ुशी में मोहम्मद साहेब ने पहली बार ईद मनाई थी तब से हर साल इस दिन ईद मनाई जाती है। ईद मनाने के पीछे एक और तर्क दिया जाता है कि एक महीने उपवास यानि रोज़ा रखने के बाद मुस्लिम दसवें महीने शव्वाल की पहली तारीख को वास्तव में ऊपर वाले को शुक्रिआ देते है जिनकी बदौलत उन्हें एक महीने तक रोज़ा रखने की ताकत और हिम्मत मिली। इसके अलावा एक महीने के उपवास के समाप्त होने के उपलक्ष्य में वे खुशियां मनाते है। इस अवसर पर लोग दावते देते हैं नए कपडे पहनते हैं और जरूरतमंदों को ज़कात देते हैं। एक दूसरे को तोहफे देते हैं। मुबारकवाद देते हैं।
इस अवसर पर लोग एक साथ मस्जिदों और ईदगाहों में नमाज पढ़ने जाते हैं। एक दूसरे के गले मिलकर मुबारकवाद देते हैं। साथ बैठ कर खाना खाते हैं। ईद सामूहिक मेलमिलाप और भाईचारे का त्यौहार है। यह एक तरह से सामाजिक त्यौहार है क्योंकि लोग इस अवसर पर जरूरतमंदों की मदद करते ताकि वह भी अच्छी तरह से ईद मना सके।
2 टिप्पणियाँ