हर माता पिता की ख्वाहिश होती है कि उनके आँगन में बच्चे की किलकारी गूंजे। शादी के कई सालों बाद भी जब किसी दम्पति के बच्चे नहीं होते तो वे समाज में नज़रें नहीं मिला पाते। ऐसे दम्पतियों को कई बार अपनों से ही ताने सुनने को मिलते हैं। ऐसे में बच्चे नहीं होने का दुःख और भी ज्यादा महसूस होने लगता है। ऐसे में निःसंतान लोगों के लिए वरदान के रूप में एक उपाय का नाम आता है और वो उपाय है सरोगसी या किराये की कोख। ऐसे लोग जो सारे इलाज करने के बावजूद बच्चे को जन्म नहीं दे पाते वे सरोगसी के माध्यम से अपना सपना साकार कर सकते हैं। बॉलीवुड के कई नामी सितारे जैसे शाहरुख़ खान, आमिर खान, करण जौहर, तुषार कपूर आदि भी सरोगसी के माध्यम से बच्चे पैदा कर चुके हैं।
सरोगसी या किराये की कोख क्या है What is Surrogacy In Hindi
सरोगसी या किराये की कोख क्या है What is Surrogacy In Hindi
सरोगसी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे निसंतान व्यक्ति अपने बच्चे को किसी अन्य महिला के माध्यम से जन्म देता है। इस प्रक्रिया में बच्चा चाहने वाले दम्पति या व्यक्ति और एक अन्य महिला के बीच एक एग्रीमेंट होता है जिसके तहत वह महिला उनके बच्चे को अपने पेट में नौ महीने पालती है और फिर उसे जन्म देती है। इसके पश्चात् वह महिला उन्हें वह बच्चा सौप देती है। इस कार्य के लिए उसे तय राशि मिलती है। इस तरह की महिलाओं को सरोगेट मदर कहते हैं। इसे सामान्य बोलचाल में किराये की कोख भी कहते हैं। इस प्रक्रिया में सरोगेट मदर का बच्चे पर कोई कानूनी अधिकार नहीं होता।
सरोगसी किनके लिए है Surrogacy Kinke Liye Hai In Hindi
सरोगसी किनके लिए है Surrogacy Kinke Liye Hai In Hindi
यह प्रक्रिया यानि सरोगसी उन लोगों के लिए है जिनको खुद का बच्चा पैदा करने की संभावना नहीं होती। कई महिलाओं में किसी वजह से गर्भ ठहर नहीं पाता या बार बार गर्भपात हो जाता है। उन महिलाओं में आई वी एफ तकनीक से भी बच्चा उत्पन्न नहीं हो पाता।
सरोगसी और भारत
सरोगसी और भारत
दुनिया में सबसे ज्यादा सरोगसी भारत में ही होते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया के 500 सरोगसी मामलों के 300 सिर्फ भारत में ही होते हैं। भारत में भी सरोगसी के ज्यादातर मामले गुजरात, मुंबई और कुछ और प्रांतों में देखे जाते हैं। गुजरात के आनंद शहर इस मामले में विख्यात है यहाँ सरोगसी के सबसे ज्यादा केस होते हैं। अकेले आनंद में 150 से ज्यादा फर्टिलिटी सेंटर चल रहे हैं।
भारत में इसके सबसे ज्यादे मामले पाए जाने का मुख्य कारण यहाँ सरोगसी का खर्चा कम आना। जहाँ विदेशों में एक सरोगसी कराने में 50 लाख रुपये तक खर्च हो जाते हैं वहीँ भारत में 10 से 15 लाख में यह आसानी से हो जाता है। भारत में सरोगसी के आसानी से होने का कारण है कि यहाँ बहुत सी गरीब, लाचार और मजबूर महिलाएं मौजूद हैं। और वे अपनी मज़बूरी की वजह से सरोगेट मदर बनने को राज़ी हो जाती है। इसके लिए जहाँ उन्हें अच्छी खासी रकम मिल जाती है वहीँ गर्भधारण से डिलीवरी तक उनकी अच्छी तरह से देखभाल हो जाती है।
सरोगसी दो प्रकार की होती है
ट्रेडिशनल सरोगसी और जेसटेंशनल सरोगसी
ट्रेडिशनल सरोगसी : इस तरह के सरोगसी में पिता के शुक्राणुओं को किसी अन्य महिला के अंडाणुओं से निषेचित कराया जाता है। इस तरह से पैदा होने वाले बच्चे का जेनेटिक सम्बन्ध केवल उसके पिता से होता है। इस तरह की सरोगसी पार्शियल सरोगसी भी कहलाती है।
जेसटेंशनल सरोगसी : इस तरह की सरोगसी में माता के अंडाणु और पिता के शुक्राणुओं को टेस्ट ट्यूब में निषेचित करवा कर भ्रूण को सरोगेट मदर के बच्चेदानी में ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है। यहीं पर वह पलता और विकसित होता है। इस प्रकार के सरोगसी में बच्चे का जेनेटिक सम्बन्ध उसके माता और पिता दोनों से होता है। इसे फुल सरोगसी या होस्ट सरोगसी भी कहते हैं।
सरोगसी रेगुलेशन बिल 2016
भारत में सरोगसी द्वारा बच्चा जन्म देना काफी सस्ता होने की वजह से पुरे विश्व से ऐसे लोग भारत का रुख कर रहे हैं। यही वजह है भारत में सरोगसी की दर दुनिया में सबसे ज्यादा है। ऐसे में इसके दुरुपयोग होने के और इसमें विवाद होने के भी मामले सामने आ रहे हैं। इसी वजह से सरकार ने सितम्बर 2016 में सरोगेट मदर के अधिकारों की रक्षा के लिए एक बिल की मंजूरी दी सरोगेट मदर के साथ साथ जन्मे बच्चों के अभिभावकों को भी कानूनी मान्यता देने का प्रावधान है। इस बिल में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि कौन व्यक्ति सरोगसी से बच्चे पैदा करा सकते हैं। सरोगसी रेगुलेशन बिल 2016 के अनुसार अविवाहित पुरुष, महिला, सिंगल, लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़े और समलैंगिक जोड़े इसके लिए आवेदन नहीं कर सकते। इस क़ानून के तहत अब सिर्फ रिश्तेदार में मौजूद किसी महिला ही सरोगसी के जरिए माँ बन सकती है।
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