भारत की आंजादी`में महात्मा गाँधी के योगदान को कौन नहीं जानता। उनके कार्यों की चर्चा करना तो सूरज को दिया दिखाने के समान है। एक नेता के साथ साथ वे एक अच्छे संत और विचारक भी थे। उन्होंने अपने जीवन में जो भी विचार दिए पहले वे उनको खुद अपने आप पर आजमाए। यही कारण है कि उनके विचार एकदम अकाट्य और व्यावहारिक हैं। उनके विचार वास्तव में व्यक्ति और समाज में व्यापक बदलाव ला सकते हैं। आईये देखते हैं उनके कुछ अनमोल विचार
जियो ऐसे जैसे तुम्हे बस एक दिन ही जीना है और सीखो ऐसे जैसे तुम हमेशा के लिए जीवित रहने वाले हो।
एक कमजोर व्यक्ति कभी क्षमा नहीं करता, क्षमा तो मजबूत और साहसी लोगों का गुण है।
मनुष्य कैसा होगा यह उसके विचारों पर निर्भर करता है अर्थात वह जैसा सोचता है वैसा ही बनता है।
आँख के बदले आँख की नीति पुरे विश्व को अँधा बना देगी।
जो बदलाव तुम संसार में चाहते हो वो पहले अपने अंदर लाओ।
पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे फिर वो आप पर हसेंगे फिर आपसे लड़ेंगे और आप जीत जायेंगे।
यदि मनुष्य सीखना चाहे तो अपनी हर भूल से सीख सकता है क्योंकि उसकी हर भूल कुछ न कुछ शिक्षा देती है।
अकल्मन्द काम करने के पहले सोंचता है जबकि मुर्ख काम करने के बाद।
आज जो आप कर रहे है उसपर आपका भविष्य निर्भर करता है।
हँसी मन के गांठो को बड़ी ही आसानी से खोल देती है।
अपने लक्ष्य में दृढ विश्वास रखने वाला एक सूक्ष्म शरीर भी इतिहास के रूख को बदल सकता है।
आप मुझे जंजीरो में जकड़ सकते हैं यातना दे सकते हैं परन्तु आप कभी मेरे विचारों को कैद नहीं कर सकते।
भूल करना पाप तो है पर उसे छुपाना उससे भी बड़ा पाप है।
काम की अधिकता नहीं काम की अनियमतता मनुष्य को मार डालती है।
कुछ लोग सफलता के सपने देखते हैं वहीँ कुछ लोग जागकर कड़ी मेहनत करते हैं।
किसी व्यक्ति की पहचान उसके कपड़े से नहीं उसके चरित्र से आंकी जाती है।
अन्याय के अधीन होना कायरता है और उसका विरोध करना पुरुषार्थ।
शारीरिक उपवास के साथ साथ मन का उपवास भी जरुरी है अन्यथा वह हानिकारक हो सकता है।
हर रात जब मै सोने जाता हूँ तो मै मर जाता हूँ और अगली सुबह जब मै उठता हूँ तो मेरा पुनर्जन्म होता है।
पाप से घृणा करो पापी से नहीं।
आपको ख़ुशी तब मिलेगी जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं वो वास्तविकता में हो।
भविष्य में क्या होगा, मै यह नहीं सोचना चाहता। मुझे तो वर्तमान की चिंता है। ईश्वर ने मुझे आने वाले क्षणों पर कोई नियंत्रण नहीं दिया है।
जब तक गलती करने की आज़ादी न हो , तब तक आज़ादी का कोई अर्थ नहीं है।
हमेशा अपने विचारों को शुद्ध करने का लक्ष्य रखें इससे सब कुछ ठीक हो जायेगा।
जो समय बचाते हैं वे धन बचाते हैं और बचाया हुआ धन, कमाए हुए धन के बराबर ही होता है।
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