किसी भी देश के लिए उसकी सुरक्षा उसके सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारिओं में से एक होती है। इसके लिए सभी देश अपनी अपनी सेनाएं रखते हैं। सेनाओं के अलावा भी देश कई अन्य तरह से अपनी सुरक्षा के लिए प्रयासरत रहते हैं। इसके लिए वे कई तरह के साधन आजमाते हैं। जासूसी उन्ही साधनों में से एक है। यह देश के दुश्मनों के बारे में महत्वपूर्ण सुराग ला के देता है और देश सुरक्षित रहता है। जासूसी भी कई तरह से की जाती है और इन्ही विधाओं में से एक है हनी ट्रैप।
औरत हमेशा से मर्द के लिए कमजोरी रही है। और इसी कमजोरी का फायदा उठा कर मर्दों से राज उगलवाने के लिए उसका इस्तेमाल हर युग में होता आया है। जो काम ताकत के बल पर न निकल सका हो वहां औरतें अपनी अदाओं से उसे आसानी से निकाल ले आती हैं। हनीट्रैप मानव स्वाभाव के इसी पहलु पर आधारित होता है।
हनीट्रैप क्या है
जिस प्रकार एक मक्खी शहद के लालच में उसपर आकर बैठ जाती है और उसका रस पीने के चक्कर में उसी में चिपक कर रह जाती है और उसके बाद लाख कोशिश के बावजूद उसे छुटकारा नहीं मिलता उड़ नहीं पाती है ठीक उसी प्रकार हनी ट्रैप अपना काम करता है। एक बार हनी ट्रैप में फसने के बाद शिकार चाह कर भी इंकार नहीं कर सकता और जासूस को महत्वपूर्ण सुराग उपलब्ध करा देता है। जासूसी की इस विधा में प्रायः खूबसूरत लड़कियों का इस्तेमाल टार्गेटेड व्यक्ति से महत्वपूर्ण राज जानने के लिए किया जाता है। ये लड़कियां खुद एक जासूस होती हैं और अपने रूप, यौवन और लच्छेदार बातों से शिकार से पहले तो दोस्ती फिर नजदीकियां बढ़ाने लगती हैं और इसके बाद उनसे जरुरी जानकारियां हासिल करने लगती हैं। कई बार शिकार की कोई कमजोरी जान लेने के बाद वह उसे ब्लैकमेल भी करने लगती हैं।
हनीट्रैप कैसे काम करता है
वास्तव में हर देश अपने दुश्मन देश की कमजोरियों, सुरक्षा व्यवस्थाओं ,साज़िशों, रणनीतियों की जानकारी पाना चाहते हैं जिससे कि उन्हें अपनी रणनीति बनाने में आसानी हो और दुश्मनो से सतर्क रह सकें। इन सारी बातों के लिए हर देश अपने जासूसों पर निर्भर रहते हैं। उनके जासूस उन्हें ये सारी जानकारियां उपलब्ध कराते हैं। हनीट्रैप भी एक तरह की जासूसी ही है। इसमें महिलाओं का सहारा लिया जाता है। ये महिलाएं फेसबुक या हाई प्रोफाइल पार्टियों के जरिये टार्गेटेड लोगों से दोस्ती करती हैं। धीरे धीरे वे ईमेल और फोन नम्बरों का आदान प्रदान करती हैं फिर मिलना जुलना बढ़ाती हैं और धीरे धीरे वे टार्गेटेड व्यक्ति से नज़दीकियां बढ़ा लेती हैं। अपनी अदाओं और लच्छेदार बातों से वे जरुरी जानकारियां हासिल करती हैं। कई बार तो टार्गेटेड व्यक्ति का कोई आपत्तिजनक फोटो या कोई ऐसी गुप्त बात जिसे वह दुनिया के सामने जाहिर नहीं करना चाहता हो वे हासिल कर लेती हैं और फिर उसे ब्लैकमेल करने लगती हैं। बदनाम होने के डर से वह व्यक्ति महत्वपूर्ण सूचनाएं उसे देने लगता है।
पाकिस्तान की आईएसआई भारत के खिलाफ हनीट्रैप को एक हथियार के तौर पर प्रयोग कर रही है। विगत में ऐसे कई मामले पकड़े गए हैं जिनमे हनीट्रैप का इस्तेमाल किया गया था।
इनमे से प्रस्तुत हैं कुछ चर्चित मामले
सुनीत कुमार : करीब चार साल पहले 2014 में सुनीत कुमार का नाम चर्चा में आया था। सुनीत कुमार मेरठ के सैन्य क्षेत्र में तैनात था। वह फेसबुक के माध्यम से आईएसआई एजेंट पूनम प्रकाश और रिया से संपर्क में आया। जल्द ही यह संपर्क गहरी दोस्ती में बदल गया और उन दोनों ने उसे अपने जाल में ऐसा फांसा कि वह सेना की जरुरी सूचनाएं उन तक पहुंचाने लगा। सुनीत एक बार जो फंसा फिर आगे ऐसा करना उसकी मज़बूरी हो गयी और धीरे धीरे वह आतंकी संगठनों के करीब भी जा पंहुचा।
पाटन कुमार पोद्दार : पाटन कुमार पोद्दार भारतीय सेना में सूबेदार के पद पर कार्यरत था। वह आंध्रा प्रदेश के सिकंदराबाद छावनी की 151 एमसी /एमएफ डिटैचमेंट में पोस्टेड था। फेसबुक पर दोस्ती करना उसका शौक था। इस शौक का फायदा उठा कर अनुष्का अग्रवाल नाम की एक लड़की ने उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा जिसे वह इंकार नहीं कर सका। दोनों में अच्छी खासी दोस्ती हो गयी। फिर उनमे बातचीत भी होने लगी। इसी दौरान वह अपनी निजी जानकारियां भी उससे साझा करने लगा। अनुष्का वास्तव में पाकिस्तानी जासूस थी। उसने अपने को उत्तर प्रदेश के झाँसी का बताया था। उसने बताया कि उसके पिता भारतीय वायु सेना में रिटायर्ड कमांडर हैं और अभी झाँसी में संयुक्त राष्ट्र की एक एनजीओ चलाते हैं। पाटन कुमार ने अनुष्का की बातों पर भरोसा करके उसे कई गोपनीय राज साझा कर दिए।
रंजीत केके : रंजीत भटिंडा एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात था। वह कई सालों से सोशल मीडिया पर दामिनी मैक्नॉट नाम की एक आईएसआई जासूस महिला के संपर्क में था। दामिनी अपने को यूके की एक मैगजीन की कर्मचारी बताकर उससे दोस्ती की थी। दामिनी ने मैगजीन में आर्टिकल के नाम पर रंजीत से एयरफोर्स की कई महत्त्वपूर्ण सूचनाएं हासिल कर ली थी। इसके बदले वह रंजीत के अकाउंट में एक बार 25000 और दूसरी बार 5000 रुपये भी ट्रांसफर कराये थे। दामिनी ने उसे इंग्लैंड में नौकरी का भी झांसा दिया। रंजीत उससे अकसर फेसबुक पर चैटिंग किया करता। इसी दौरान उसने एयर फ़ोर्स बेस और उसके लड़ाकू विमानों जैसे सुखोई के लोकेशन आदि के बारे में कई जानकारियां दामिनी से शेयर करने लगा। उसने वायु सेना के कई अधिकारिओं के मोबाइल नंबर और नाम भी दामिनी को उपलब्ध करवाये। बाद में हालांकि उसका खेल ख़त्म हो गया खुफ़िआ पुलिस ने रंजीत को गिरफ्तार कर लिया।
हनीट्रैप का मामला इतना संवेदनशील और गंभीर है कि अब सरकारें भी सचेत हो गयी हैं और देश की सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण लोगों के सोशल मीडिया पर सरकारें प्रायः निगरानी किया करती हैं।
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