प्रकृति ने इस धरती पर दो तरह के जीवों की रचना की है नर और मादा। पर कभी कभी प्रकृति भी कन्फ्यूज्ड हो जाती है और कुछ गलतियां कर बैठती है। प्रकृति के इस कन्फ्यूजन का खामियाजा कुछ लोगों को भुगतना पड़ता है और हमारा समाज तब उन्हें एक्सेप्ट नहीं कर पाता। स्वभावतः एक पुरुष एक महिला के प्रति आकर्षण महसूस करता है और एक महिला एक पुरुष के प्रति। पर कई बार ऐसा नहीं हो पाता और विचित्र स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं। ऐसे लोग भी अपनी विचित्र आदतों तथा शारीरिक बनावट के आधार पर कई तरह के होते हैं।
गे : हमारे समाज में कई बार एक मर्द दूसरे मर्द के साथ रिश्ता रखते हैं। वे एक दूसरे से पुरुष और महिला की तरह प्यार भी करते हैं और शारीरिक सम्बन्ध भी बनाते हैं। वास्तव में ऐसे पुरुष किसी औरत के प्रति कोई आकर्षण महसूस नहीं करते। इनमे से कई पुरुष की बोलने, चलने और कई अन्य आदते औरतों से मिलती हैं तो कई पुरुष में पुरुषोचित गुण होने के बावजूद वे किसी पुरुष के प्रति आशक्त होते हैं और अपनी यौन जरूरतों की पूर्ति के लिए भी पुरुष साथी की चाह रखते हैं। इस तरह के सम्बन्ध समलैंगिक या होमो सेक्सुअल सम्बन्ध करहलाते हैं। ऐसे पुरुषों को गे कहा जाता है और इनके बीच के रिश्ते को गे रिलेशनशीप कहते हैं। इस पूरी कम्युनिटी को G कम्युनिटी कहा जाता है।
लेस्बियन : ठीक इसके उलट जब दो औरतों के बीच प्यार हो जाये तो उन्हें लेस्बियन कहते हैं। यह भी एक होमो सेक्सुअल या समलैंगिक सम्बन्ध ही होता है। ऐसी औरतें सिर्फ औरतों के प्रति ही आकर्षण रखती हैं और उसे पाने की चाहत रखती हैं। दो पार्टनरों के बीच अकसर एक पुरुष की तरह व्यवहार करती है तो दूसरी किसी लड़की की तरह। लेकिन यह आवश्यक नहीं है कई बार तो एकदम सामान्य लड़कियों के बीच भी ऐसे सम्बन्ध पाए जाते हैं। उनके व्यवहार देखने में बिलकुल एक सामान्य लड़की की तरह ही होते हैं। लेस्बियन महिलाएं एक दूसरे के साथ शारीरिक सम्बन्ध भी बनाती हैं जिसमे मुख्यतः फोरप्ले ही होता है।
शारीरिक आकर्षण और चाहत के आधार :
गे : हमारे समाज में कई बार एक मर्द दूसरे मर्द के साथ रिश्ता रखते हैं। वे एक दूसरे से पुरुष और महिला की तरह प्यार भी करते हैं और शारीरिक सम्बन्ध भी बनाते हैं। वास्तव में ऐसे पुरुष किसी औरत के प्रति कोई आकर्षण महसूस नहीं करते। इनमे से कई पुरुष की बोलने, चलने और कई अन्य आदते औरतों से मिलती हैं तो कई पुरुष में पुरुषोचित गुण होने के बावजूद वे किसी पुरुष के प्रति आशक्त होते हैं और अपनी यौन जरूरतों की पूर्ति के लिए भी पुरुष साथी की चाह रखते हैं। इस तरह के सम्बन्ध समलैंगिक या होमो सेक्सुअल सम्बन्ध करहलाते हैं। ऐसे पुरुषों को गे कहा जाता है और इनके बीच के रिश्ते को गे रिलेशनशीप कहते हैं। इस पूरी कम्युनिटी को G कम्युनिटी कहा जाता है।
लेस्बियन : ठीक इसके उलट जब दो औरतों के बीच प्यार हो जाये तो उन्हें लेस्बियन कहते हैं। यह भी एक होमो सेक्सुअल या समलैंगिक सम्बन्ध ही होता है। ऐसी औरतें सिर्फ औरतों के प्रति ही आकर्षण रखती हैं और उसे पाने की चाहत रखती हैं। दो पार्टनरों के बीच अकसर एक पुरुष की तरह व्यवहार करती है तो दूसरी किसी लड़की की तरह। लेकिन यह आवश्यक नहीं है कई बार तो एकदम सामान्य लड़कियों के बीच भी ऐसे सम्बन्ध पाए जाते हैं। उनके व्यवहार देखने में बिलकुल एक सामान्य लड़की की तरह ही होते हैं। लेस्बियन महिलाएं एक दूसरे के साथ शारीरिक सम्बन्ध भी बनाती हैं जिसमे मुख्यतः फोरप्ले ही होता है।
बाई सेक्सुअल : अब एक स्थिति और आती है। गे और लेस्बियन जिसमे पुरुष और पुरुष तथा लड़की और लड़की में सम्बन्ध होता है वही बाई सेक्सुअल रिलेशन शिप में पुरुष किसी अन्य पुरुष या किसी अन्य महिला यानि दोनों के प्रति आकर्षित होता है और सम्बन्ध बनाना पसंद करता है इसी तरह एक महिला को दूसरी महिला या किसी पुरुष दोनों से सम्बन्ध रखना अच्छा लगता है। इस तरह के केस को बाईसेक्सुअल या सिर्फ बाई कहते हैं। इस तरह के पुरुष या महिला जरुरत पड़ने पर दोनों यानि स्त्री पुरुष दोनों से सम्बन्ध बनाने को उतने ही लालायित होते हैं। इसको ऐसे भी कह सकते हैं एक बाई पुरुष गे भी होता है और एक सामान्य पुरुष भी जो एक स्त्री के प्रति आकर्षण महसूस करे। इसी तरह एक बाई महिला एक लेस्बियन भी होती है और एक सामान्य महिला भी होती है जिसे एक पुरुष की जरुरत पड़ती है।
जननांगों की बनावट के आधार पर
ट्रांसजेंडर : कई बार लड़के लड़कों की तरह व्यवहार न कर लड़कियों की तरह व्यवहार करने लगते हैं। लड़कियों के कपडे पहनना, उनकी तरह चलना, बाते करना सजना सवंरना बिंदी और लिपस्टिक लगाना जैसी हरकते करने लगते हैं। इसी तरह लड़कियों का लड़कों की तरह व्यवहार करना आदि। ऐसे व्यक्ति पैदा तो किसी और रूप में होते हैं पर जैसे जैसे बड़े होते हैं उनका शरीर उसके विपरीत महसूस करने लगता है और वे अपनी उस पहचान को पाने के लिए छटपटाने लगते हैं। इस तरह के व्यक्ति को ट्रांसजेंडर कहा जाता है। एक लड़का बड़ा होकर लड़कियों की तरह रहने लगे तथा एक लड़की बड़े होकर लड़कों की तरह व्यवहार करने लगे। कई बार ऐसे लोग सेक्स चेंज करा कर अपना व्यक्तित्व चेंज कर लेते हैं पर ज्यादातर उसी छटपटाहट में अपनी जिंदगी गुज़ार देते हैं और घर तथा समाज में ताने सुनते रहते हैं।
इंटरसेक्स : कई बार बच्चों के जन्म के समय उनके यौन अंगों को देख कर स्पष्ट नहीं हो पाता कि वह लड़का है या लड़की है। उस समय डॉक्टर को जो सही जान पड़ता है उसी के हिसाब से उसके लिंग की घोषणा कर देता है और उसे उसी रूप में बड़ा किया जाता है और उसका उसी रूप में पालन पोषण, कपडे आदि का चुनाव होता है। इस तरह के केस में कई बार बड़े होने पर स्थिति उलटी हो जाती है और उसे जो समझ आता है उसी हिसाब से वह अपना लिंग मान लेता है।
क्वीयर : कई बार ऐसा होता है इंसान तय ही नहीं कर पाता है कि वह क्या है गे है लेस्बियन है इंटरसेक्स है या ट्रांसजेंडर। उसे अपना शरीर अजीब महसूस होता है और उसे जानने की चाहत होती है। ऐसे लोग न तो अपने को पुरुष ही समझ पाते हैं न महिला। इस तरह के लोगों को क्वीयर कहा जाता है।
एक पुरुष, पुरुष भी हो सकता है गे भी हो सकता है और बाई सेक्सुअल भी ठीक इसी प्रकार एक महिला सामान्य महिला भी हो सकती है, लेस्बियन भी हो सकती है और बाई सेक्सुअल भी। यह उनके शरीर की चाहत और मनोवृति तय करती है कि वह L लेस्बियन होगी G गे होगा या B यानि बाई सेक्सुअल वही एक व्यक्ति का शरीर यानि उसके जननांग तय करते हैं कि वह T ट्रांसजेंडर होगा I इंटरसेक्स होगा या Q क्वियर।
पूरी दुनिया में इस तरह के व्यवहार वाले लोगों का अपना एक संगठन है। इस संगठन को LGBTIQ कहा जाता है। इसे Queer Community या Rainbow Community भी कहा जाता है। इसमें L लेस्बियन के लिए G गे के लिए B बाई सेक्सुअल्स के लिए होता है जबकि T ट्रांसजेंडर I इंटरसेक्स तथा Q क्वियर लोगों के लिए होता है।
ट्रांसजेंडर : कई बार लड़के लड़कों की तरह व्यवहार न कर लड़कियों की तरह व्यवहार करने लगते हैं। लड़कियों के कपडे पहनना, उनकी तरह चलना, बाते करना सजना सवंरना बिंदी और लिपस्टिक लगाना जैसी हरकते करने लगते हैं। इसी तरह लड़कियों का लड़कों की तरह व्यवहार करना आदि। ऐसे व्यक्ति पैदा तो किसी और रूप में होते हैं पर जैसे जैसे बड़े होते हैं उनका शरीर उसके विपरीत महसूस करने लगता है और वे अपनी उस पहचान को पाने के लिए छटपटाने लगते हैं। इस तरह के व्यक्ति को ट्रांसजेंडर कहा जाता है। एक लड़का बड़ा होकर लड़कियों की तरह रहने लगे तथा एक लड़की बड़े होकर लड़कों की तरह व्यवहार करने लगे। कई बार ऐसे लोग सेक्स चेंज करा कर अपना व्यक्तित्व चेंज कर लेते हैं पर ज्यादातर उसी छटपटाहट में अपनी जिंदगी गुज़ार देते हैं और घर तथा समाज में ताने सुनते रहते हैं।
इंटरसेक्स : कई बार बच्चों के जन्म के समय उनके यौन अंगों को देख कर स्पष्ट नहीं हो पाता कि वह लड़का है या लड़की है। उस समय डॉक्टर को जो सही जान पड़ता है उसी के हिसाब से उसके लिंग की घोषणा कर देता है और उसे उसी रूप में बड़ा किया जाता है और उसका उसी रूप में पालन पोषण, कपडे आदि का चुनाव होता है। इस तरह के केस में कई बार बड़े होने पर स्थिति उलटी हो जाती है और उसे जो समझ आता है उसी हिसाब से वह अपना लिंग मान लेता है।
क्वीयर : कई बार ऐसा होता है इंसान तय ही नहीं कर पाता है कि वह क्या है गे है लेस्बियन है इंटरसेक्स है या ट्रांसजेंडर। उसे अपना शरीर अजीब महसूस होता है और उसे जानने की चाहत होती है। ऐसे लोग न तो अपने को पुरुष ही समझ पाते हैं न महिला। इस तरह के लोगों को क्वीयर कहा जाता है।
एक पुरुष, पुरुष भी हो सकता है गे भी हो सकता है और बाई सेक्सुअल भी ठीक इसी प्रकार एक महिला सामान्य महिला भी हो सकती है, लेस्बियन भी हो सकती है और बाई सेक्सुअल भी। यह उनके शरीर की चाहत और मनोवृति तय करती है कि वह L लेस्बियन होगी G गे होगा या B यानि बाई सेक्सुअल वही एक व्यक्ति का शरीर यानि उसके जननांग तय करते हैं कि वह T ट्रांसजेंडर होगा I इंटरसेक्स होगा या Q क्वियर।
पूरी दुनिया में इस तरह के व्यवहार वाले लोगों का अपना एक संगठन है। इस संगठन को LGBTIQ कहा जाता है। इसे Queer Community या Rainbow Community भी कहा जाता है। इसमें L लेस्बियन के लिए G गे के लिए B बाई सेक्सुअल्स के लिए होता है जबकि T ट्रांसजेंडर I इंटरसेक्स तथा Q क्वियर लोगों के लिए होता है।
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