Talent vs Good Communication Skill : A Motivational Story


स्नेहा तुम क्या कर रही हो ? तुम्हारा काम हुआ या नहीं ? टीचर ने लगभग चीखते हुए कहा। बस मैम बस अभी ला रही हूँ। करीब बीस मिनट बाद स्नेहा ने अपनी कॉपी पूरी की और मैम के पास जमा करके निकल ली। स्नेहा की परीक्षाएं चल रही थीं। आज आखरी पेपर था। पेपर देने के बाद स्नेहा अपनी सहेलियों के साथ बतियाती हुई घर चली गयी। उसकी सहेलियों में से एक थी अलका। अलका से उसकी खूब बनती थी। अलका भी उसे खूब मानती थी। स्नेहा और अलका थीं तो सहेलियां पर दोनों के स्वाभाव में काफी अंतर था। स्नेहा जहाँ शर्मीली, दब्बू  और अंतर्मुखी थी वहीँ अलका काफी बातूनी और उन्मुक्त स्वाभाव की लड़की थी। इसी वजह से स्कूल में अलका को बहुत ही तेज तर्रार और बुद्धिमान समझा जाता था। वह वाद विवाद प्रतियोगिताएं में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती थी। कक्षा में भी हर प्रश्न का कुछ न कुछ जवाब जरूर देती थी।वास्तव में उसकी कम्युनिकेशन स्किल काफी अच्छी थी।  यही कारण था लोग उसे खूब पसंद करते और वह अपने स्कूल में काफी लोकप्रिय थी। सारे शिक्षक उसे बहुत मानते थे।

Talent vs Good Communication Skill : A Motivational Story
एकबार दोनों सहेलियां अपने क्लास में बैठ कर बातें कर रही थीं तभी एक नयी मैडम धड़धड़ाते हुए क्लास में घुसी। सभी बच्चे खड़े हो गए। मैडम ने सबको बैठने को कहा। देखो बच्चों आज से हमारे विद्यालय की नयी प्रिंसिपल शिल्पा मैम हैं। क्लास टीचर जो उनके पीछे पीछे क्लास में प्रवेश किया ने  मैडम का परिचय कराते हुए कहा। शिल्पा मैम बहुत कड़क लग रही थीं। उन्होंने आते ही स्नेहा को खड़ा किया और पूछा बताओ प्रकाश संश्लेषण किसे कहते हैं ? स्नेहा को काफी घबराहट हो रही थी वह काफी देर तक कुछ बोली ही नहीं फिर धीरे धीरे बोलना शुरू की में प्रकाश संश्लेषण वह प्रक्रिया है जिसमे ...... तुम जोर से नहीं बोल सकती हो क्या ? शिल्पा मैम ने उसे डांटते हुए कहा। तुम बताओ , उन्होंने अलका की तरफ इशारा किया  अमेरिका के राष्ट्रपति कौन हैं ? अलका ने जवाब दिया जी अमेरिका के राष्ट्रपति , फिर उसने स्नेहा की तरफ देखा स्नेहा अपनी कॉपी पर लिख रही थी डोनाल्ड ट्रम्प , मैम अमेरिका के राष्ट्रपति हैं डोनाल्ड ट्रम्प उसने जोर से कहा।  शिल्पा मैम ने कहा शाबाश उन्हने फिर पुछा  अच्छा बताओ अमेरिका में कितने राज्य हैं ? अलका की नज़रे फिर स्नेहा की कॉपी पर थी। उसने स्नेहा को कुछ लिखते हुए देखा और फिर शिल्पा मैम की तरफ देखते हुए कहा मैम अमेरिका में कुल पचास राज्य हैं। वैरी गुड यह लड़की तो बहुत ही इंटेलीजेंट है गुड। शिल्पा मैम बहुत खुश नज़र आ रही थीं। जब शिल्पा मैडम चली गयीं तो अलका ने स्नेहा का हाथ पकड़ते हुए कहा स्नेहा तुमने हर बार की तरह इस बार भी बचा लिया। तुम बहुत अच्छी हो।
स्नेहा पढ़ने में बहुत अच्छी थी किन्तु संकोची स्वाभाव की होने की वजह से क्लास में बोल नहीं पाती थी। क्लास में क्या वह कहीं भी लोगों को सही से फेस नहीं कर पाती थी। यही वजह थी क्लास में टीचर या किसी को उसके टैलेंट का पता नहीं था। लोग उसके बारे में अच्छी राय नहीं रखते थे। स्नेहा के टैलेंट का पता सिर्फ उसके फ्रेंड अलका को था।  वह हमेशा उसका फायदा उठा ले जाती थी । स्कूल में वाद विवाद प्रतियोगिता में भी वह स्नेहा के लिखे निबंधों  को याद करके बोलती थी।
धीरे धीरे परीक्षा के दो महीने बीत गए। और वह दिन भी आ गया जब रिजल्ट आने वाला था। स्कूल में सभी लड़कियां अपना अपना रिजल्ट देख रही थीं। स्नेहा उस भीड़ से अलग खड़ी होकर खाली होने का इंतज़ार कर रही थी। तभी वहां अलका आयी और उसने स्नेहा से पूछा तुमने अपना रिजल्ट देखा ? स्नेहा ने कहा नहीं। तब उसने बताया तुम अपने क्लास में टॉप की हो, सबसे ज्यादा नंबर आएं हैं तुम्हारे। स्नेहा को कोई आश्चर्य नहीं हुआ जैसे उसको सब पता हो। उसने पुछा और तुम्हारे कितने नंबर आये हैं अलका ? अलका ने कहा बस किसी तरह से पास हो गयी हूँ। तभी वहां शिल्पा मैम आ गयी और उन्होंने स्नेहा को शाबाशी देते हुए कहा वेलडन  स्नेहा वेलडन , तुम तो छुपी रुस्तम निकली। इसी बीच स्नेहा की क्लास टीचर और अन्य टीचर भी आ गयीं। सबने स्नेहा की खूब तारीफ़ की। उसकी क्लास टीचर ने कहा स्नेहा तुम तो कमाल की हो हम तो तुम्हे बेहद ही साधारण लड़की समझ रहे थे। तुम क्लास में बोलती क्यों नहीं हो ? स्नेहा लाज से गड़ी जा रही थी उसका चेहरा एकदम लाल हो गया था। आज पुरे स्कूल में उसकी चर्चा हो रही थी।

Talent vs Good Communication Skill : A Motivational Story
नई कक्षाएं शुरू हो गयी थीं। स्नेहा और अलका रोज़ स्कूल जाती थीं। अब कक्षा में स्नेहा का भी सम्मान बढ़ गया था। कुछ दिनों तक सब कुछ सही चला। फिर धीरे धीरे स्थिति पहले जैसी ही हो गयी। स्नेहा के संकोची और अंतर्मुखी होने की वजह से उसकी दोस्ती अन्य लड़कियों से बहुत ही कम थी। वहीँ अलका तुरत किसी का दिल जीत लेती थी। कक्षा की सारी लड़कियां उसकी दोस्त थीं। अच्छे सम्बन्ध की वजह से उसका कोई काम रुकता नहीं था। किसी भी परिस्थित में कोई न कोई उसकी मदद के लिए खड़ा हो जाता। कभी स्नेहा उसकी मदद नहीं करती तो भी कोई न कोई उसकी मदद कर दिया करता था। स्नेहा का भी मन करता था लोग अलका की तरह उसे पसंद करें  तारीफ़ करें। वह भी चाहती थी उसकी कुछ सहेलियां हों और वह सब में लोकप्रिय हो  किन्तु उसका संकोची स्वाभाव उसे कुछ करने नहीं देता। कई बार वह सोंचती पढ़ाई से बढ़कर कुछ भी नहीं है   लेकिन अलका की लोकप्रियता देखकर   धीरे धीरे उसके अंदर ईर्ष्या  की भावना पनपने लगी थी। वह अंदर ही अंदर कुढ़ने लगी थी। उसे लगता था जिस सम्मान और लोकप्रियता की वह हक़दार है वह अलका को यूँ ही मिल जाता है। अब उसका पढाई में भी मन नहीं लगता था। कई बार ईर्ष्यावश वह अलका को कुछ नहीं बताती लेकिन अलका को कोई फर्क नहीं पड़ता उसका काम नहीं रुकता था स्नेहा मदद नहीं करती तो कोई न कोई और खड़ा हो जाता। नौबत यहाँ तक आ गयी कि अब स्नेहा को अलका की उपस्थिति से भी चिढ होने लगी। स्नेहा हर वक्त अलका को नीचा दिखाने का मौका ढूढ़ती। अब उसका मन पढाई में कम और अलका की कमियों को ढूढ़ने में ज्यादा लगता था।
धीरे धीरे वार्षिक परीक्षाओं का भी वक़्त आ गया। परीक्षाएं चालू हो के ख़त्म भी हो गयीं। फिर एक दिन रिजल्ट आया। इस बार स्नेहा के माथे पर चिंता की लकीरें थीं। इस बार स्नेहा को बहुत कम नंबर आये और अलका के नंबर के लगभग बराबर आये थे। स्नेहा की ईर्ष्या और भी बढ़ गयी थी। उसे लग रहा था इतने ख़राब प्रदर्शन की जिम्मेदार अलका है। स्नेहा का दिल रो रहा था। उसके समझ ही नहीं आ रहा था ये कैसे हो गया। वह स्कूल की लाइब्रेरी में अकेली बैठी सोच में डूबी हुई थी। वह कभी अलका को कोसती तो कभी अपनी किस्मत को। इतना अपमान उसे पहले कभी महसूस नहीं हुआ था। अब वह बेंच पर सर रख कर सूबक रही थी। तभी उसने अपने सर पर किसी के हाथों का स्पर्श महसूस किया। उसने एकाएक अपना चेहरा ऊपर किया, सामने शिल्पा मैम खड़ी थीं। प्रिंसिपल मैम ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा  स्कूल की एक परीक्षा तुम्हारी जिंदगी नहीं तय कर सकती। जीवन बहुत बड़ा है और ये परीक्षाएं बहुत छोटी। स्नेहा की आँखों से आंसू बह रहे थें। देखो बेटी सोना
चाहे तुम कहीं पर रख दो किसी के साथ रख दो वह अपने गुणों को नहीं खोता। और हर गुण हर व्यक्ति के अंदर नहीं होता। इसका मतलब यह नहीं है कि वह व्यक्ति किसी से कम हो गया। तुम एक अति प्रतिभावान लड़की हो और तुम्हारे इस गुण की वजह से सभी शिक्षकों और छात्रों  में तुम्हारा काफी सम्मान है। स्नेहा ने सूबकते हुए कहा लेकिन आप लोग तो अलका को ज्यादा प्यार करते हैं। टीचर हँस पड़ीं। देखो बेटी मैंने कहा न हर इंसान के अंदर कोई न कोई टैलेंट होता है तुम पढाई में आगे हो तो अलका वाक् पटूता में। आज के जमाने में यह एक टैलेंट है। जिस तरह से तुमने अपने आप को अध्ययन में निखारा है उसकी प्रकार अलका ने अपने कम्युनिकेशन स्किल को मांजा है। अच्छी कम्युनिकेशन स्किल  एक अच्छी प्रतिभा के लिए सीढ़ी का काम करती है साथ ही  अच्छी प्रतिभा अच्छे कम्युनिकेशन स्किल को विश्वसनीय बनाती है। बैटरी में बहुत ऊर्जा होती है किन्तु टार्च का बल्ब ही ख़राब हो तो उस ऊर्जा का पता किसी को कैसे चले। स्नेहा की समझ में अब कुछ कुछ आने लगा था। वह उठ खड़ी हुई। सामने मैम जी के साथ अलका भी खड़ी थी। अलका की आँखों में भी आंसू थे। स्नेहा  के चेहरे पर एक चमक आ गयी थी। उसने उठकर अलका का हाथ पकड़ लिया और कहा मुझे माफ़ कर दो अलका , मै ईर्ष्या में अपना ही नुकसान कर रही थी। आज से मै अपनी पढ़ाई के साथ साथ अपने कम्युनिकेशन स्किल को भी निखारने का प्रयास करुँगी। अलका ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, और मै पढ़ाई में तुम जैसा बनने की कोशिश करुँगी। दोनों सहेलियां हँस पड़ी।